First village of India : भारत का पहला गांव जहां से होकर जाता है स्वर्ग जाने का रास्ता आज हम आपको उसी गांव के बारे में बताएंगे कुछ रोचक तथ्य। यह गांव उतराखंड में पड़ता है जिसका नाम है माणा गांव (Mana Village) । गांव भारत और तिब्बत की सीमा से लगा हुआ है। यहां से चीन की सीमा शरू हो जाती है. कहा यह भी जाता है कि इस गांव का नाता महाभारत काल से भी जु़ड़ा हुआ है,और यह भी कहते हैं कि पांडव इसी रास्ते से होते हुए स्वर्ग गए थे.
इस गांव (Mana Village) का पौराणिक नाम मणिभद्र है। यह गांव सरस्वती नदी के किनारे बसा हुआ बहुत ही सुंदर गांव है. माणा समुद्र तल से लगभग 10,000 फुट की ऊंचाई पर बसा हुआ है। माणा गांव अपनी सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ कई अन्य कारणों की वजह से भी मशहूर है।
यह गांव (Mana Village) बद्रीनाथ से मात्र तीन किलोमीटर पर स्थित है। अगर हम पर्यटन के लिहाज से बात करे तो यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं है। यहां पर हरेक साल सैलानी सरस्वती और अलकनंदा नदी के संगम को देखने लिए आते हैं।
माणा गांव में देखने के लायक जगह
गणेश गुफा,व्यास गुफा और भीम पुल यह सभी स्थान यहां घूमने आए सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है. सरस्वती नदी पर एक भीम पुल बना हुआ है। इसकी मन्यता यह है कि जब पांडव स्वर्ग जा रहे थे, तब उन्होंने सरस्वती नदी से रास्ता मांगा लेकिन सरस्वती ने रास्ता देने से मना कर दिया। तब भीम ने दो बड़े पत्थरों को उठाकर नदी के बीच एक पुल बना डाला।
इस तरह से इस पुल का निर्माण हुआ. इस पुल से होकर ही भीम स्वर्ग कि ओर गए थे। इसी के लिए इस पुल का नाम भी भीम पुल रखा गया। पांडव तो आगे चले गए और आज तक यह पुल यह मौजूद है। आपको बता दें कि भीम अपनी शक्ति के लिए प्रसिद्ध थे।
खूबसूरत वसुधंरा झरना भी
यहां पर एक खूबसूरत वसुधंरा झरना भी है। अगर आप माणा गावं जाए तो यह झरना जरूर देखकर आए अपको खुद ही पता चल जाएगा कितना खूबसूरत है। इसके अलावा यहां पर जो प्रमुख स्थान है वह है व्यास गुफा। व्यास गुफा के बारे में कहा जाता है कि यहीं पर वेदव्यास ने पुराणों की रचना की थी और वेदों को चार भागों में बांटा था।
व्यास गुफा और गणेश गुफा यहां होने से इस पौराणिक कथा को सिद्ध करते हैं कि महाभारत और पुराणों का लेखन करते समय व्यास जी ने बोला और गणेशजी ने लिखा था। व्यास गुफा, गणेश गुफा से बड़ी है। गुफा में प्रवेश करते ही किसी की भी नजर एक छोटी सी शिला पर पड़ती है। इस शिला पर प्राकृत भाषा में वेदों का अर्थ लिखा गया है।
भारत की आखिरी चाय की दुकान
‘भारत की आखिरी चाय की दुकान’ जी हां, इस बोर्ड पर यही लिखा हुआ है। इसे देखकर हर सैलानी और तीर्थयात्री इस दुकान में चाय पीने के लिए जरूर रुकता है। इस दुकान में आपको साधारण चाय से लेकर माणा में पी जाने वाली नमकीन गरम चाय, वन तुलसी की चाय आदि भी मिल जायेगी।
भारत-तिब्बत सीमा सुरक्षा बल का बेस
माणा में ही भारत-तिब्बत सीमा सुरक्षा बल का बेस भी है। कुछ समय पहले तक यहां के युवकों को सुरक्षा बल में भर्ती नहीं किया जाता था, लेकिन अब इन लोगों को भी सीमा सुरक्षा बल में भर्ती किया जा रहा है। कोऑपरेटिव सोसायटी से उन्हें हर महीने राशन मिलता है। सभी के घरों में बिजली है और सभी को गैस कनेक्शन भी दिए गए हैं।
नीलकंठ चोटी
माणा गांव में नीलकंठ चोटी है जोकि समुद्री स्तर से 6597 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।इस चोटी को गढ़वाल की रानी के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है।इस चोटी से यहां आने वाले पर्यटक बद्रीनाथ को देख सकते हैं।
तप्त कुंड
तप्त कुंड एक ऐसा कुंड है,जिसमें बारह महीनों सिर्फ गर्म पानी निकलता है। माना जाता है कि, कुंड के पानी में जो लोग एक बार भी स्नान कर लेता है उसकी सभी त्वचा बीमारियां दूर हो जाती है। इस कुंड पर हमेशा ही यहां आने वाले पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है।
ट्रेकिंग
ट्रेकिंग एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए माणा गांव परफेक्ट है, यहां आने वाले पर्यटक यहां ट्रेकिंग का भरपूर लुत्फ उठा सकते हैं। यहां ट्रेकिंग के लिए कई रास्ते जैसे-माणा से वशुधारा,माणा से माणा पास,माणा से चरणपादुका।
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