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Kalka Shimla Toy Train: रोमांच से भरी है कालका-शिमला टॉय ट्रेन की यात्रा

Kalka Shimla Toy Train: हिमाचल प्रदेश में कालका-शिमला टॉय ट्रेन लॉर्ड कर्जन ने 1903 में शुरू की थी. इस प्रसिद्ध पुरानी सवारी को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने एक विश्व विरासत स्थल घोषित किया है. 96 किमी की यह यात्रा कालका से शिमला तक 5 घंटे में पूरी होती है. यह यात्रा 103 सुरंगों, 800 पुल और गहरी खाइयों के ऊपर बने ब्रिजों से गुजरते हुए एक कभी न भूलने वाले अनुभव देती है. आज इस आर्टिकल के जरिए बताएंगे Kalka Shimla Toy Train के बारे खास बातें…

हरी-भरी घाटियों से गुजरती है टॉय ट्रेन || Kalka Shimla Toy Train Journey

पहाड़ों, हरी-भरी घाटियों, पाइन, फर और देवदार के जंगलों से गुजरकर यह सफर पर्यटकों को एक यादगार अनुभव दे जाता है. ट्रेन पहाड़ों से गुजरते हुए कई जगह रुकती है. पर्यटक रास्ते भर न सिर्फ प्रकृति का दीदार करते हैं बल्कि बेहतरीन तस्वीरें क्लिक करने का अवसर भी उनके पास रहता है.

Kalka Shimla Toy Train की स्पीड बहुत कम है. गाड़ी की अलग अलग कई श्रेणियां हैं, जैसे डीलक्स (डीलक्स मोटर रेल कार और शिवालिक डीलक्स एक्सप्रेस), सुपर डीलक्स (शिवालिक क्वीन पर्यटक कोच, शिवालिक पैलेस पर्यटक कोच) और नियमित यात्री गाड़ियां (कालका शिमला एक्सप्रेस और हिमालयन क्वीन); ये गाड़ियाँ कालका से सुबह और शिमला से दोपहर में चलती है.

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शिमला की असली खूबसूरती इन पहाड़ों में ही है जिसके बीच से ये ट्रेन गुजरती है. ये रेल रूट 1903 में ब्रिटिश सेना द्वारा बनवाया गया था. उस दौर में शिमला अंग्रेजों के बीच काफी चर्चित था.

चीड़ के जंगलों और पथरीले पहाड़ों के साथ, कई झरने, सुरंग और छोटे-छोटे गांव भी हैं शिमला के इस रास्ते में. कालका स्टेशन से शिमला के बीच 96 किलोमीटर की दूरी के बीच 20 रेलवे स्टेशन, 103 सुरंग, 800 ब्रिज और 900 घुमावदार मोड़ हैं. अब तो आप समझ ही गए होंगे कि ये ट्रेन रूट कितना अनोखा है.

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इस रूट की सबसे लंबी सुरंग तो 1 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबी है. शिमला जाने से पहले कुछ खास बातों का ख्याल रखना जरूरी है, उनमें से एक ये है कि अगर आपके पास समय हो तो अपना प्लान ऐसा बनाएं कि इस रेल रूट का मजा लिया जा सके.

टॉय ट्रेन का इतिहास || Kalka Shimla Toy Train History

पहले एंग्लो-गोरखा युद्ध के तुरंत बाद अंग्रेजों द्वारा शिमला की स्थापना की गई. 1864 में यह शहर ब्रिटिश साम्राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी बन गया और यहां तक ​​कि इसे ब्रिटिश सेना के मुख्यालय के रूप में भी संचालित किया गया. लेकिन एकमात्र रोड़ा कनेक्टिविटी थी – शिमला पहुंचने के लिए परिवहन का एकमात्र साधन एक बैलगाड़ी थी जो पहाड़ी इलाकों से होकर गुजरती थी. ये रास्ता खतरनाक भी था और जोखिम भरा भी.

इसी वजह से, शिमला तक आसान और जल्दी पहुंच बनाने के लिए, कालका-शिमला नैरो गेज 1903 में शुरू किया गया था और इसे ‘पूर्व का ब्रिटिश गहना’ कहा जाता था. ट्रेन की पहली यात्रा भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन ने की थी और तब से ट्रेन नियमित रूप से चल रही है और शिमला का एक आइकॉनिक सिंबल बन चुकी है.

कितनी ट्रेन चलती हैं इस रूट पर? || Kalka Shimla Route Train Information

इसमें दो रेग्युलर पैसेंजर ट्रेन और तीन टूरिस्ट ट्रेन चलती हैं.

Shivalik Deluxe Express: इसमें 10 कोच हैं. चेयर कार और मील सर्विस भी है.

Kalka Shimla Express: इसमें फर्स्ट और सेकेंड क्लास के साथ अनरिजर्व्ड सिटिंग भी है.

Himalayan Queen: ये कालका में कनेक्ट होती है.

Kalka Shimla Passenger: इसमें फर्स्ट और सेकेंड क्लास के साथ अनरिजर्व्ड सिटिंग भी है.

Rail Motor: कांच की छत और सामने के दृश्य के साथ प्रथम श्रेणी रेलबस

Shivalik Queen: लग्जरी बेड़ा. हर गाड़ी में 8 लोग बैठ सकते हैं. इसमें दो शौचालय, विशाल गलीचे और बड़ी खिड़कियां हैं.

इनके अलावा, टूरिस्ट सीजन शुरू होने पर खास ट्रेन चलाई जाती हैं. ये मई से जुलाई और सितंबर से अक्टूबर और दिसंबर और जनवरी में चलती हैं. इसमें से एक ट्रेन है शिवालिक स्पेशल. इसका टाइम IRCTC की वेबसाइट से पता चल जाएगा.

जनवरी 2020 से शुरू हुई है नई ट्रेन || New train has started from January 2020

हाल ही में कालका-शिमला रूट पर एक नई ट्रेन शुरू हुई. इस ट्रेन का नाम है हिम दर्शन एक्सप्रेस. इसमें विस्टाडोम कोच  (शीशे से बनी हुई छत और खिड़कियों वाले कोच) शामिल थी. हर कोच में 15 लोगों के बैठने की जगह थी और अगर ज्यादा धूप हो तो इसमें पर्दों का सहारा लिया जा सकता था.

ये ट्रेन सुबह 7 बजे से काल्का स्टेशन से चलती थी और दोपहर 12.55 बजे ये शिमला पहुंचती थी. इसके अलावा, 3.50 बजे ये शाम में शिमला से वापस आती जो कालका स्टेशन रात 9.15 बजे पहुंचती थी. कोविड काल में इसे बंद कर दिया गया.

टॉय ट्रेन का किराया || Kalka Shimla Toy Train Fare

अगर आपको लगता है कि बेहद खूबसूरत वादियों की सैर करवाने वाली ट्रेन का किराया बहुत ज्यादा होगा तो आप गलत सोच रहे हैं. शिवालिक का किराया 510 रुपए है. इसी के साथ, रेल मोर्टार कार का किराया 320 रुपए. इतने कम किराए में आप बहुत ही अच्छे से आरामदायक सीट पर बैठे हुए वादियों का मजा लेते हुए शिमला पहुंच सकते हैं.

बाकी ट्रेन्स में कई क्लास हैं और उनके किराए इससे भी कम हैं, लेकिन सुविधाजनक यही ट्रेन रहेगी. इसके  साथ ही, जिन खूबसूरत रेलवे स्टेशन पर ये रुकती है वो भी काफी अच्छे लगेंगे.

चंडीगढ़ से कालका बहुत नजदीक है इसलिए आपको स्टेशन पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. रात कालका या चंडीगढ़ कहीं भी बिताई जा सकती है.

इस रेल रूट की खास बात || Kalka Shimla Toy Train Route Specialty

इस रेल रूट का मजा बारिश में नहीं लिया जा सकता, लेकिन सर्दियों में ये ट्रेन चलती है. यानी शिमला और बर्फ का असली मजा इस ट्रेन से लिया जा सकता है. ये रेल रूट कई घुमावदार रास्तों से होते हुए शिमला जाता है इसलिए पहाड़ों का थ्रिल भी कम नहीं होगा. इस ट्रेन की स्पीड भी काफी धीमी होती है, इसलिए आराम से खूबसूरती का मजा लेते हुए जा सकते हैं.

Komal Mishra

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