Auli Tour Guide: उत्तराखंड का औली (Auli) एक प्रसिद्ध डेस्टिनेशन है. यह जगह दुनिया भर में स्कीइंग के लिए मशहूर है. औली उत्तराखंड के हिमालय पहाड़ों में चमोली जिले (Chamoli District) में स्थित है. औली को गढ़वाली में औली बुग्याल के रूप में भी जाना जाता है. इसका अर्थ है, घास का मैदान. यह समुद्र तल से 2,500 मीटर (8,200 फीट) से 3,050 मीटर (10,010 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है. आइए लेते हैं औली की यात्रा (Auli Tour Guide) के बारे में पूरी जानकारी…
जोशीमठ (Joshimath) से औली पहुंचने के दो रास्ते है पहले आप सड़क से होकर भी आसानी से जा सकते है और दूसरा रोपवे के द्वारा भी आसानी से पहुंचा जा सकता है. औली को भारत का सबसे सुंदर हिल स्टेशन भी माना जाता है. भारत के पर्यटकों को के लिए औली एक नई जगह है.
लेकिन अब औली भी धीरे-धीरे भारत के अन्य हिल स्टेशनों की तरह प्रसिद्ध हो रहा है. औली सच में किसी स्वर्ग से कम नहीं लगता है.
यहां ठंडी हवाएं, बर्फ से ढंके विशाल पर्वत, त्रिशूल चोटी, नंदा देवी चोटी (Nanda Devi Peak) है. नंदा देवी दुनिया की 23 वीं सबसे बड़ी चोटी है और यह चोटी 7,816 मीटर की ऊंचाई के साथ भारत की दूसरी सबसे बड़ी चोटी है.
औली गुरसो बुग्याल एक खूबसूरत जगह है जो गर्मी के मौसम में हरियाली से सजी रहती है. यह स्थान हरे-भरे जंगलों से घिरा हुआ है. पर्यटक जोशीमठ से रोपवे द्वारा यहां पहुंच सकते हैं. गुरसो बुग्याल के पास स्थित छत्तरकुंड झील के नाम से जाना जाने वाला एक छोटा जल निकाय है.
सैलधर तपोवन, औली के निकट एक छोटे से गांव में, यात्री एक प्राकृतिक जल स्रोत और एक मंदिर भी देख सकते हैं. औली की बर्फीली ढलानों पर स्कीइंग का भरपूर मजा लिया जा सकता है.
अल्पाइन स्कीइंग, नॉर्डिक स्कीइंग और टेलीमार्क स्कीइंग का आनंद लेने के लिए ये न सबसे अच्छी जगह है. औली में एशिया की सबसे ऊंची और सबसे लंबी केबल कार है जो 4 किमी की दूरी तय करती है.
केबल कार को गोंडोला के नाम से जाना जाता है. इसमें चेयर लिफ्ट और स्की लिफ्ट की सुविधा है. स्नो-पैकिंग मशीनों और स्नो बीटर्स द्वारा ढलानों की चिकनाई नियमित रूप से बनाए रखी जाती है. औली हिमालयी क्षेत्र में ट्रेकिंग के लिए भी प्रसिद्ध है.
जोशीमठ ट्रेकिंग मार्ग पर्यटकों के बीच काफी फेमस है. कामेट, नंदा देवी, माना पर्वत और दूनागिरी जैसी चोटियों के बीच से विभिन्न मार्गों में ट्रेकिंग करते हुए देखा जा सकता है. त्रिशूल चोटी औली का एक लोकप्रिय टूरिस्ट है, जो समुद्र तल से 7160 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.
इस चोटी का नाम हिंदू भगवान शिव के त्रिशूल से पड़ा है. यह एक लोकप्रिय स्कीइंग स्थल भी है और इसके अतिरिक्त, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल के गश्त अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण मैदान के रूप में कार्य करता है. पर्यटक शिखर की तलहटी में स्थित रूपकुंड झील को भी देख सकते हैं.
नंदप्रयाग उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है. यह अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के संगम पर स्थित है. कई भक्त संगम पर डुबकी लगाते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार नंदप्रयाग यदु वंश की राजधानी थी.
यह पांच प्रयागों में से एक है, जो प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों बद्रीनाथ और केदारनाथ के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है. अन्य प्रयाग विष्णुप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग और देवप्रयाग हैं. नंदप्रयाग बर्फ से ढके पहाड़ों के मनोरम दृश्यों के लिए जाना जाता है. अलकनंदा नदी के तट पर स्थित गोपालजी मंदिर में देश भर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं.
केदारनाथ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है. यह स्थान गढ़वाल हिमालय में समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. केदारनाथ मंदिर को हिंदू धर्म (चार धाम) में सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है.
यह सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे ऊंचा है, मंदिर के पास ही शानदार मंदाकिनी नदी बहती है. गर्मियों के दौरान, इस तीर्थ स्थल पर भगवान शिव का आशीर्वाद लेने आने वाले टूरिस्ट का तांता लगा रहता है.
मंदिर लगभग 1000 वर्ष पुराना है, समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह स्थान सभी चार धामों तक पहुंचने के लिए सबसे कठिन स्थान है. यह मंदिर केवल 6 महीने तक ही पहुंचा जा सकता है. मंदिर सर्दियों में बंद रहता है.
आर्टिफिशियल लेक औली समुद्र तल से काफी ऊंचाई पर स्थित है. यह स्की के लिए अच्छा सरफेस देता है.
समुद्र तल से 3056 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गुरसो बुग्याल औली से 3 किमी की दूरी पर स्थित है.यह जगह गर्मियों के दौरान हरे भरे खूबसूरत व्यू के लिए जानी जाती है. यहां चारों ओर कोनिफर और ओक के जंगल हैं. यह झील साफ और मीठे पानी के लिए जानी जाती है.
औली तक जाने के लिए एरोप्लेन, ट्रेन, सड़क के रास्ते तक भी पहुंचा जाया सकता है. औली से नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून का जौली ग्रांट एयरपोर्ट है और रेलवे स्टेशन हरिद्वार रेलवे स्टेशन है. औली के लिए बसें भी मिल जाती हैं.
वैसे तो आप औली साल के 365 दिन जा सकते हैं लेकिन नवंबर से मार्च के बीच का समय सबसे बेस्ट रहेगा. दिसंबर से फरवरी के बीच भारी बर्फबारी की वजह से यहां का वातावरण बहुत ज्यादा ठंडा रहता है तो वहीं मई से नवंबर के बीच का मौसम ठंडा रहता है.
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