This place gets 2 rupees tea and 10 rupees full of food
food : यह कहानी राजस्थान के श्रीगंगानगर शहर की है, जहां 11 दोस्तों ने मिलकर एक ऐसी रसोई बनाई है, जो रोजाना तकरीबन एक हजार लोगों को खाना परोसती है. महंगाई के इस दौर में भी यहां केवल 10 रुपये में आप भर पेट खाना खा सकते हैं. इस अनोखी रसोई का नाम है ‘माँ अन्नपूर्णा रसोईघर’. 11 दोस्तों की इस टोली में व्यापारी, दुकानदार, सरकारी कर्मचारी से लेकर फोटोग्राफर शामिल हैं. आइए आपको मिलवाते हैं इन 11 दोस्तों से.
इनमें शामिल हैं सरकारी अस्पताल के कंपाउंडर महेश गोयल, दाल मिल के मालिक रामावतार लीला, मुनीम राजकुमार सरावगी, कपड़ा व्यवसायी राजेन्द्र अग्रवाल, साड़ी विक्रेता अनिल सरावगी, व्यवसायी राहुल छाबड़ा, कपड़ा व्यवसायी पवन सिंगल, फोटोग्राफर विनोद वर्मा, व्यवसायी भूप सहारण, बिजली विभाग के कर्मचारी दीपक बंसल और चाय विक्रेता शंभू सिंगल.
Beer, Wine, Champagne, Brandy, Whiskey, Scotch, Vodka, Feni और Tequila क्या है अंतर यहां जानें
इन लोगों के काम-धंधे भले ही अलग हों लेकिन ये सभी समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं. श्रीगंगानगर की एक संस्था है ‘जयको लंगर सेवा समिति’. इस संस्था का गठन करीब 35 साल पहले सालासर धाम में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए लंगर लगाने के उद्देश्य से किया गया था. बाद में यह संस्था शहर के धार्मिक कार्यक्रमों में भी लंगर लगाने लगी. लंगर आयोजनों के कारण इस संस्था के बारे में हर कोई जानता था लेकिन इसकी अलग पहचान बनी 2012 में. श्रीगंगानगर के जिला राजकीय चिकित्सालय परिसर में इस संस्था के बैनर तले 17 अक्टूबर, 2012 को ‘माँ अन्नपूर्णा रसोई घर’ की शुरुआत हुई.
स्ट्रीट फूड गोलगप्पा है हर किसी की पहली पसंद, जानें ये आया कहां से
अब आप जानना चाहेंगे कि आखिर ऐसा क्या अनूठा है इस रसोईघर में? सबसे बड़ी खासियत है इस रसोईघर की स्थापना का उद्देश्य. श्रीगंगानगर जिला अस्पताल में बड़ी तादाद में लोग इलाज के लिए आते हैं. इनमें ज्यादातर संख्या होती है गरीब लोगों की. 11 लोगों की मित्र मंडली ने जब गरीब, असहाय लोगों के दर्द को महसूस किया तो उन्होंने उनकी मदद करने की सोची. सभी दोस्त बैठे, चर्चा की और फैसला किया ‘माँ अन्नपूर्णा रसोईघर’ की स्थापना का. फैसला तो हो गया लेकिन बड़ा सवाल था-इसके लिए पैसा कहाँ से आएगा लेकिन कहते हैं न कि जहां चाह-वहां राह.
Gujarati Food : 10 ऐसे व्यंजन, जिनके बिना अधूरी है हर गुजराती की थाली
जयको लंगर सेवा समिति के सचिव रामावतार लीला बताते हैं, ”हमने शहर के लोगों से बात कर उनसे इस नेक में सहयोग मांगा. लोग हंसी-खुशी मदद को तैयार हो गए. कुछ लोग 50 रुपये तो कई लोग 3000 रुपये महीना देने की हामी भर दी आठ साल पहले महज 10 रुपए प्रतीकात्मक शुल्क लेकर भर पेट शुद्ध-सात्विक खाना देने का जो पुण्य कर्म शुरू किया गया, वह लगातार चल रहा है. रसोईघर में प्रतिदिन एक हजार से ज्यादा लोग भोजन करते हैं. ”
शहर के हजारों लोग ‘माँ अन्नपूर्णा रसोईघर’ सहयोग कर रहे हैं. कोई नकद राशि देता है तो कोई दाल, गेहूँ पहुँचा देता है. कोई मसाले, चाय पत्ती, चीनी पहुँचा देता है तो कोई देशी घी के टिन पहुँचाता है. सहयोगकर्ताओं की तादाद बढ़ती जा रही है. वर्तमान में करीब 500 लोग 200 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक का मासिक योगदान रसोईघर के संचालन के लिए दे रहे हैं.
साफ-सुथरे वातावरण वाले रसोईघर में दिन की शुरूआत चाय से होती है, जिसकी कीमत केवल 3 रुपये है. वहीं 5 रुपये में दूध का गिलास मिल जाता है. चाय-दूध की स्टाल सुबह से शाम तक चलती रहती है. मरीजों और उनके परिजनों के लिए महज दस रुपए में दाल, सब्जी और रोटी मिल जाती है. निराश्रितों, बुजुर्गों के लिए खाना, दूध और चाय बिल्कुल मुफ्त.
रसोईघर में खाना बनाने, परोसने और लोगों के बैठने के स्थान की स्वच्छता पर सबसे अधिक ध्यान दिया जाता है. रसोईघर में भीड़ ना लगे, इसलिए समिति के स्वयंसेवक सुबह-शाम अस्पताल के विभिन्न वार्डों में जा कर भोजन के कूपन बांट आते हैं. इन्हीं कूपन के आधार पर दस रुपये लेकर खाने की पर्ची दे दी जाती है. जिसे वहाँ भोजन करना हो एयरकंडीशंड हॉल में बैठ कर भोजन कर सकता है. जिन्हें पैक कराना हो, वह पैक करवा कर ले जा सकते हैं. प्रात: 11 से 2 बजे तक और शाम को 7 बजे से 9 बजे तक भोजन वितरण के समय आप रसोईघर की सुविधाओं को प्रत्यक्ष देख सकते हैं.
यहां पर मिलती है दुनिया की सबसे महंगी सब्जी, कीमत है 82 हजार रुपए
जयको लंगर सेवा समिति के अध्यक्ष महेश गोयल बताते हैं, ”आठ साल पहले जब हमने रसोईघर आरंभ किया था तो भोजन के लिए पहुंचने वालों की संख्या बहुत कम थी लेकिन जैसे-जैसे अस्पताल में मरीजों की तादाद बढ़ रही है, वैसे-वैसे रसोईघर में भी काम बढ़ रहा है. अब नियमित रूप से एक हजार से अधिक लोगों को हम खाना परोसते हैं. रोजाना 3000 कप से ज्यादा चाय लग जाती है. खाने वाले चाहे जितने बढ़ गए हों मगर हमें आज तक एक पैसे की तंगी का सामना नहीं करना पड़ा.”
इस रसोईघर के लिए नकदी, राशन आदि को मिलाकर प्रतिवर्ष करीब एक करोड़ रुपये का सहयोग शहरवासियों से मिलता है. लगभग इतनी राशि से काम चल जाता है. थोड़ा-बहुत बच भले ही जाए लेकिन कभी पैसे की कमी नहीं आती है. रसोईघर में ऐसे लोगों की तादाद लगातार बढ़ रही है, जो अपने प्रियजनों का बर्थडे, सालगिरह और पुण्यतिथि पर भोजन कराने आते हैं.
Salt : इन देशों में नमक का इस्तेमाल भारत से है बिल्कुल जुदा
11 दोस्तों की सोच से सेवा कार्यों का सिलसिला लगातार विस्तार ले रहा है. श्रीगंगानगर के बाद रायसिंहनगर और रावतसर जैसे इलाके में भी इसी तरह के रसोईघर शुरू कर दिए गए हैं. वहा रोजाना 400 लोग भोजन करते हैं. महेश गुप्ता कहते हैं, ”श्रीगंगानगर में राज्य सरकार की ओर से मेडिकल कॉलेज बनना प्रस्तावित है. सरकार मेडिकल कॉलेज बनाने की तैयारी कर रही है तो हम उसमें भोजन का प्रबंध करने का प्लान बना रहे हैं. हमने इसी साल चूनावढ़ कोठी में साढ़े अठारह बीघा जमीन पर गोशाला शुरू की है. गोशाला में अभी 125 पशु हैं. ”
बता दें यह टोली लॉकडाउन में भी सक्रिय थी. रामावतार लीला बताते हैं, ”लॉकडाउन में अस्पताल में मरीजों का आना करीब-करीब बंद हो गया था लेकिन हमने रसोईघर को बंद नहीं किया. हमने वहाँ खाना बनाकर गली-मोहल्लों में जरूरतमंदों तक पहुँचाना शुरू कर दिया. शुरू में हम 200 पैकेट खाना बांटते थे, कुछ ही दिन में यह संख्या 5000 पैकेट हो गई. लॉकडाउन के दौरान हमने तकरीबन 5 लाख लोगों को खाना खिलाया है. ”
‘माँ अन्नपूर्णा रसोईघर’ हम सभी के लिए एक मिसाल है. ऐसे दौर में जब हर कुछ मुनाफे के बारे में सोचकर शुरू किया जाता है, ऐसे वक्त में इस तरह की पहल का स्वागत करना चाहिए. द बेटर इंडिया ‘माँ अन्नपूर्णा रसोईघर’ के सभी सदस्यों के जज्बे को सलाम करता है.
Char Dham Yatra 2025 : उत्तराखंड की चार धाम यात्रा 30 अप्रैल, 2025 को गंगोत्री… Read More
आज की भागदौड़ भरी दुनिया में एकाग्रता बनाए रखना एक बड़ी चुनौती बन गई है.… Read More
Spring Season 2025 : वसंत ऋतु सबसे सुखद मौसमों में से एक है, जिसमें फूल… Read More
Dharamshala travel Blog Day 1 धर्मशाला उत्तर भारत का एक शहर है. यह हिमाचल प्रदेश… Read More
Vietnam Travel Blog : वियतनाम एक खूबसूरत देश है जो अपनी समृद्ध संस्कृति, शानदार लैंडस्केप… Read More
Trek With Friends : फरवरी दोस्तों के साथ रोमांचक सर्दियों की यात्रा पर निकलने का… Read More