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Ant Chutney in Bastar : यहां बुखार आने पर Paracetamol नहीं, लाल चीटिंयों की खुराक दी जाती है

Bastar | Red Ant Chutney | Red Ant Sauce – बस्तर का नाम लेते ही सबसे पहले आपके दिमाग नक्सल का वो दहशत चेहरा आ जाता होगा, जिससे हर कोई वाकिफ है. लेकिन बस्तर इन सबसे अलग और अनोखा है. क्योंकि घने जंगल के बीच बसा बस्तर आदिवासियों के लिए जाना जाता है और वहां की कलाकृतियों के लिए. बस्तर चारों तरफ से जंगल से घिरा हुआ है. वहां तरह-तरह की औषधि पाई जाती है, जो बीमारियों को छू मंतर कर देती है. आज हम एक खास औषधि के बारे में बताएंगे जो बीमारी को छू मंतर कर देती है.

लाल चींटिया ( Red Ants ) बस्तर की औषधि कही जाती है. क्योंकि बस्तर के लोग बीमार पड़ने पर पैरासिटा मोल नहीं लेते बल्कि लाल चींटी ( Red Ants ) से खुद को कटवाते है. उनका मानना है कि ऐसा करने से बुखार छू मंतर हो जाता है. साथ ही उनका यह भी मानना है कि चींटी की चटनी ( Red ants Chutney ) खाने से मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारी उन्हें छूती भी नहीं है.

चींटी की चटनी विश्व प्रसिद्ध – World Famous Red Ant Chutney / Sauce

जैसा की आप जानते है बस्तर आदिवासी बाहुल्य इलाका है. यहां ऊंची बिल्डिंग नहीं है, बल्कि आदिवासियों का छोटा-छोटा आशियाना है. यहां गली मोहल्ले में डॉक्टर की क्लीनिक नहीं है बल्कि हर दूसरे कदम पर जड़ी बूटी और औषधी से भरा घना जंगल है. घने जंगल होने के कारण यहां मच्छरों की तादाद ज्यादा है, जिसके काटने से मलेरिया डेंगू का खतरा बना रहता है. इसलिए बस्तर में मिलने वाली चींटी की चटनी ( Red Ants Chutney ) विश्व प्रसिद्ध है. इसे खाने ने वहां के लोग इन बीमारियों से दूर बचे रहते हैं. इसे चापड़ा भी कहते हैं.

अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा आखिर छोटी-छोटी चींटी से चटनी ( Red Ants Chutney ) कैसे तैयार की जाती होगी. उन्हें पकड़ा कैसे जाता होगा. क्या वो काटती नहीं होगी. इन तमाम सवालों के जवाब हमारे पास है.

चींटी मिलती कहां है – Where anyone can fine Red Ant

इन चींटियों ( Red Ants ) का बसरे आम, अमरूद, साल जैसे मीठे पेड़ों पर होता है. इन कपड़े की मदद से पकड़ा जाता है. ये झुंड में किसी भी फल पर लगी रहती है, जिसे कपड़े के सहारे पूरे झुंड को कपड़े में बांध लिया जाता है.

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कैसे तैयार होती है चींटी की चटनी – How Red Ant Chutney prepared

दरअसल चींटी की चटनी ( Red Ants Chutney ) भी आम चटनी की तरह ही तैयार की जाती है, जिसमें लहसून, नमक के साथ तैयार किया जाता है, जिसे रोटी के साथ बड़े चाव से खाया जाता है. कहा जाता आदिवासियों की प्रोटीन की खुराक चींटी ( Red Ants ) है जिसे वे अपने खाने में शामिल करते है. इसमें कैल्शियम की भी भरपूर मात्रा होती है.

क्या है इस चटनी का मार्केट भाव – Red And Chutney Market Price

यह चटनी ( Red ants Chutney ) बस्तर के हाट बाजार में 400 रुपये किलो में बिकती है. वहीं 5 रुपये दोना भी मिलती है. इसकी डिमांड बस्तर में काफी है. या यूं कहें बस्तर के आम दिनचर्या का ये हिस्सा है.

चटनी पर आदिवासियों की राय – What Tribes feel on Red Ant Chutney

आदिवासियों का कहना है कि ये चींटी की चटनी ( Red Ants Chutney ) तैयार करने का काम उन्हें विरासत में मिला है. उनके पूर्वज भी चींटी की चटनी यानी चापड़ा खाते थे वे भी खाते हैं. साथ उनका यह भी मनना है कि यदि किसी को बुखार आता है तो वे पेड़ के नीचे उस आदमी को बैठे देते है और खुद ही चींटी से कटवाते हैं. ऐसा करने से उनका बुखार उतर जाता है.

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विदेश में चीटियों पर की गई रिसर्च- Research on Red Ants

विदेश में एक रिसर्च में पाया गया कि चींटी में खट्टेपन की मात्रा ज्यादा होती है. इनमें औषधी गुण समाए होते हैं. फलों के बगीचे में इन चीटियों को छोड़ा जाता है ताकि ये कीटनाशक का काम करें.

विदेश में चींटी पकड़ने का उत्सव – Ant Caughting Celebration

विदेशों में हर साल मार्च या अप्रैल में यह उत्सव तब होता है जब भारी बारिश के बाद तेज़ धूप निकली हो और रात में चांदनी बिखरी हो. उस वक्त यह उत्सव मनाया जाता है. मार्च या अप्रैल में चींटियों का सालाना प्रजनन मौसम शुरू होता है, जो दो महीने तक जारी रह सकता है. इसी दौरान स्थानीय लोग ज़्यादा से ज़्यादा रानी चींटियों को पकड़ने के लिए छीना-छपटी करते हैं.

अंडों से भरी हुई और प्रजनन के लिए तैयार भूरी, कॉकरोच के आकार की रानी चींटियां किसी ट्रॉफी की तरह होती हैं. जिसे जीतकर लजीज पकवान की तरह खाया जाता है. सड़क किनारे की कुछ दुकानों में उनको तैयार किया जाता है. चींटी खाने की प्रथा सिर्फ बस्तर में ही नहीं बल्कि ओडिशा, झारखंड और विदेशों में भी फेमस है.

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