Mathura Peda : मथुरा भगवान कृष्ण की नगरी है. देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु हर दिन यहां श्री कृष्ण मंदिरों, चमत्कारों और उनसे जुड़ी लीलाओं को देखने के लिए आते हैं. इसके अलावा मथुरा के पेड़े भी कापी फेमस हैं. अगर आप मथुरा जाते हैं तो वहां पेड़ा जरूर टेस्ट करें. कहा जाता है कि कृष्ण जी को पेड़े बहुत प्रिय है. पेड़ा आमतौर पर मथुरा (मीठा) में बनने वाली एक तरह की मिठाई है, लेकिन इस पेड़ा का सीधा संबंध श्री कृष्ण से है. आइये जानते है पेड़े का इतिहास.
मथुरा के पेड़े के बारे में कोई प्रामाणिक इतिहास उपलब्ध नहीं है. लेकिन इसे लेकर आम जनता में एक कहानी प्रचलित है. कहा जाता है कि एक बार भगवान कृष्ण की माता यशोदा ने दूध उबालने के लिए रखा था, लेकिन वह भूल गई. कुछ देर बाद दूध में उबाल आने तक वह काफी गाढ़ा हो गया.
फिर यशोदा ने उसमें चीनी मिलाकर पेड़े बनाकर कृष्ण को खिलाए. मां की बनाई यह मिठाई कान्हा को बहुत पसंद आई. जिसके बाद मथुरा में भगवान कृष्ण को पेड़ा चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई. मथुरा की सबसे पुरानी दुकान तोताराम हलवाई की है. 1832 में उन्होंने पेड़ा बनाने का काम शुरू किया. आज तक उनके वंश की पीढ़ी इस धंधे को आगे बढ़ा रही है.
समय बीतने के साथ पेड़े की मांग भी बढ़ गई है. वर्तमान में मथुरा की हर गलियों में पेड़े बनते हैं. इसे बनाने के तरीके में भी बदलाव किया गया है. जिसके नीचे पेड़ा बनाने के लिए बहुत सारा दूध जलाया जाता है. इसके बाद जब दूध जलकर लाल हो जाए तो उसमें चीनी और काली मिर्च का पाउडर मिला दिया जाता है. जिसे ठंडा करने के बाद पेड़े का आकार दिया जाता है. ऐसा माना जाता है कि पेड़ो के बिना भगवान कृष्ण के दर्शन अधूरे हैं. इसलिए मंदिर के चारों ओर पेड़ों की सैकड़ों दुकानें हैं.
वैसे आपको मथुरा में हर जगह पेड़ों की दुकानें मिल जाएंगी,लेकिन असली और स्वादिष्ट पेड़े के लिए आपको कुछ दुकानों पर ही निर्भर रहना पड़ता है. मथुरा में बृजवासी मिठाईवाला, शंकर मिठाईवाला और बृजवासी पेड़े वाले की दुकानें सबसे प्रसिद्ध हैं. वहीं, यहां की तोता राम हलवाई की दुकान पेडे की सबसे पुरानी दुकान के रूप में भी प्रसिद्ध है. वैसे हमारी सलाह है कि आप पेड़ा चखकर ही खरीदें. आमतौर पर मिलावट जैसी खबरें भी आती रहती हैं.
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को मथुरा के पेड़े बहुत पसंद थे. उत्तर प्रदेश से जब भी कोई उनके पास जाता था तो उन्हें मथुरा के पेड़ भेंट कर देते थे. पंडित जवाहरलाल नेहरू मथुरा के पहले सांसद प्रोफेसर कृष्णचंद्र से बार-बार पेड़ों की मांग करते थे.
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