Mahalaya Amavasya 2024 : महालय अमावस्या कब है, जानिए पितृ पक्ष अमावस्या की तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
Mahalaya Amavasya 2024 : महालया अमावस्या को पितरों के तर्पण और श्राद्ध के लिए बहुत खास माना जाता है. महालया अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. इस साल महालया अमावस्या 2 अक्टूबर, बुधवार को है. पितृ पक्ष में पड़ने वाली महालया अमावस्या को पितृ दोष से मुक्ति के लिए भी जाना जाता है. महालया अमावस्या पर पितरों का श्राद्ध करने से न केवल उनकी आत्मा को मुक्ति मिलती है बल्कि तर्पण करने वाले व्यक्ति के पुण्य कर्मों में भी वृद्धि होती है.यहां जानें महालया अमावस्या के बारे में सबकुछ, तिथि से लेकर महत्व तक
महालया अमावस्या 2024: तिथि और मुहूर्त || Mahalaya Amavasya 2024: Date and Muhurta
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, महालया अमावस्या नवरात्रि की शुरुआत और पितृ पक्ष के अंत का प्रतीक है.वैदिक कैलेंडर के अनुसार, यह नवरात्रि की शुरुआत और पितृ पक्ष के अंत का प्रतीक है. आश्विन मास की अमावस्या तिथि 01 अक्टूबर 2024 को रात्रि 09:38 बजे से शुरू होगी. वहीं, यह तिथि 2 अक्टूबर को दोपहर 12:19 बजे समाप्त होगी, यानी 3 अक्टूबर से शुरू होगी. ऐसे में सूर्योदय तिथि के अनुसार महालया अमावस्या 02 अक्टूबर को मनाई जाएगी.
अपराह्न काल: दोपहर 1:26 बजे – दोपहर 3:48 बजे
कुटुप मुहूर्त: सुबह 11:52 बजे – दोपहर 12:39 बजे
रोहिना मुहूर्त: दोपहर 12:39 बजे – दोपहर 1:26 बजे
महालया अमावस्या महत्व || Mahalaya Amavasya Significance
पितृ पक्ष में पड़ने वाली अमावस्या को महालया अमावस्या, सर्वपितृ अमावस्या और विसर्जनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. पितृ पक्ष में तर्पण और श्राद्ध कर्म करके पितरों की आत्मा की मुक्ति के लिए प्रार्थना की जाती है. महालया अमावस्या पर कुछ लोग अपने सभी पितरों के लिए तर्पण करते हैं.पितृ दोष से मुक्ति के लिए महालया अमावस्या पर पितरों का श्राद्ध करना भी बहुत महत्वपूर्ण है. पितृ दोष दूर होने से जीवन में उन्नति और सुख-समृद्धि आती है.
महालया अमावस्या 2024: पूजा विधि || Mahalaya Amavasya 2024: Puja Vidhi
महालया अमावस्या पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.इसके बाद दक्षिण दिशा में पितरों को जल अर्पित करें.इसके बाद घर में सात्विक भोजन बनाएं और पितरों के नाम से भोजन निकालकर दक्षिण दिशा में रख दें. इसके बाद ब्राह्मण, गरीब, गाय, कुत्ते और कौए को भी भोजन खिलाएं. इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. इसके साथ ही शाम के समय दक्षिण दिशा में दीपक जलाएं.