अंगूर की पूरे साल खूब मांग रहती है. जिस अंगूर को आप मजे से खाते हैं, वहीं अंगूर किशमिश और वाइन बनाने के लिए भी इस्तेमाल होता है. अंगूर के उत्पाद बनाना कोई बहुत मुश्किल भी नहीं है. देश में पैदा होने वाले फलों में अंगूर प्रीमियम कैटिगरी का फल माना जाता है. घरेलू बाजार के अलावा, इसकी विदेश में भी अच्छी मांग रहती है. मुख्य रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, तमिलनाडु के अलावा पंजाब, राजस्थान, पश्चिमी यूपी और मध्य प्रदेश आदि राज्यों में अंगूर की खेती की जाती है.
अच्छी मांग रहने से अंगूर की खेती तो लाभदायक है ही, इसके उत्पादों से कहीं ज्यादा लाभ होता है. अंगूर से किशमिश, जैम, जैली व शरबत आदि आसानी से बनाया जा सकता है. अंगूर के विभिन्न उत्पादों को तैयार करने के लिए ब्यूटी सीडलैस, थॉम्पसन, सीडलैस परलैट, डिलाइट, चैम्पियन, अर्ली मस्केट, गोल्ड कॉर्डिनल, बैंकुआ आबाद-ए-शाही आदि प्रमुख किस्में हैं. अंगूर में ए, बी और सी विटामिन प्रचुर मात्रा में होते हैं. अंगूर के कई उत्पाद बनाए जा सकते हैं, जिसमें जैम, जैली, वाइन, रस, किशमिश, मक्खन आदि प्रमुख हैं.
किशमिश बनाने के लिए अंगूर की ऐसी किस्म का चयन किया जाता है. जिसमें कम से कम 20 फीसदी मिठास हो. किशमिश को तैयार करने की तीन विधियां हैं. पहली- प्राकृतिक प्रक्रिया, दूसरी-गंधक प्रक्रिया और तीसरी-कृत्रिम प्रक्रिया है. पहली प्राकृतिक प्रक्रिया में अंगूर को गुच्छों से तोड़ने के बाद सुखाने के लिए 9 सेंटीमीटर लंबी और 60 सेंटीमीटर चौड़ी ट्रे या 60 सेंटीमीटर लंबी और 45 सेंटीमीटर चौड़ी ट्रे, जिसके नीचे प्लाई-वुड या लकड़ी की पट्टियां लगी हुई हों, में अंगूरों को अच्छी तरह फैला दें. फिर तेज धूप में 6-7 दिन तक रखें. अंगूरों को प्रतिदिन उलटते-पलटते रहें.
इसके पश्चात ट्रे को छायादार स्थान पर रख दें, जहां अच्छी तरह हवा लगे सके. छायादार स्थान में सुखाने से किशमिश मुलायम रहती है और इसका इसका रंग भी खराब नहीं होता है. तैयार किशमिश में 15 फीसदी नमी रहनी चाहिए. गंधक प्रक्रिया से किशमिश बनाने पर उसका रंग बिल्कुल नहीं बदलता है. इसका मतलब है कि इस प्रक्रिया से बनी किशमिश हरी रहती है. धूप में सुखाने से किशमिश का रंग थोड़ा भूरा हो जाता है.
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वाइन को किसी भी फल से बनाया जा सकता है, पर वाइन बनाने के लिए सबसे ज्यादा प्रचलित फल है अंगूर . सारी सामग्री को मिलाने के बाद, आप वाइन में खमीर विकसित होने देते हैं, फिर उसे पुराना होने देते हैं और फिर बोतल में डाल कर रखते हैं. इस प्राचीन, पर आसान तरीके को इस्तेमाल कर आप एक स्वादिष्ट वाइन बना सकते हैं, वाइन बनाने की खाद्य सामग्री के साथ-साथ आपको कुछ आधारभूत उपकरण भी चाहिये होंगे, जिससे कि आप वाइन को पुराना होने के लिए छोड़ सकते हैं और साथ ही बैक्टीरिया और दूसरे कीटों से सुरक्षित भी कर सकते हैं.
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चूंकि हम नहीं चाहते कि वाइन बनाने के दौरान ज्यादा खर्चा हो, इसलिये हमें ज्यादा महंगे मशीन खरीदने की कोई आवश्यकता नहीं है. आप वाइन को किसी भी फल से बना सकते हैं, हालांकि वाइन बनाने के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले फल अंगूर और बेरी होते हैं. जो भी फल आप चुनें, वे अपने जायके के चरम पर हों, यानी कि पर्याप्त रूप से पके हुए हों. बेहतर है कि आप जैविक फलों का इस्तेमाल करें, जिन पर कीटनाशक जैसे रसायनों का प्रयोग न किया गया हो, क्योंकि आप नहीं चाहेंगे कि आपकी वाइन में फलों के साथ-साथ रसायन भी शामिल हो जायें. अगर हो सके, तो ऐसे फलों का इस्तेमाल करें जिन्हें आपने खुद उगाया और तोड़ा हो, या फिर आप फलों की मंडी से भी ताज़ा फल खरीद सकते हैं. आप चाहे तो वाइन बनाने के लिए खास अंगूरों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसे कि सुल्ताना, गुलाबी, अरकावती आदि.
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