Khari Baoli – खाने के शौकीनों के लिए पुरानी दिल्ली का चांदनी चौक इलाके को हब कहा जा सकता है. आपको आज हम बताएंगे पुरानी दिल्ली में कई और ऐसी जगहों के बारे में जहां आपको बहुत टेस्टी व्यंजन खाने को मिल जाएंगे. दिल्ली के मशहूर चांदनी चौक के पश्चिमी हिस्से में बनी खारी बावली आज के समय में एशिया की सबसे बड़ी मसाला मार्केट मानी जाती है. खारी बावली में आपको मसाले के साथ साथ ड्राई फ्रूट, जैसे काजू, बादाम, किशमिश, छुहाड़े, अखरोट, एक से बढ़कर एक क्वालिटी में मिल जाएंगे. यहां अगर आप स्ट्रीट शॉपिंग या छोटी मोटी खरीदारी करना चाहते हैं तो झोले, आम पापड़, सौंफ, दुर्लभ सब्जियां, हींग आदि भी खरीद सकते हैं. यहां देशभर के कारोबारी मसाले और ड्राई फ्रूट की खरीदारी के लिए आते हैं.
यहां सभी प्रकार के मसाले, मेवे, जड़ी बूटियों और खाद्य उत्पादों में दाल,चावल और चाय जैसे समानों की बिक्री होती है. 17 वीं सदी से चल रहा यह बाजार दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के पास स्थित है. चांदनी चौक के पश्चिमी छोर पर स्थित फतहपुरी मस्जिद के निकट स्थित है और वर्षों से यह एक पर्यटक आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है, विशेष रूप से दिल्ली के हेरिटेज सर्किट का.
मार्केट खारी बावली में स्थित ये स्पेशल चाट सिर्फ सर्दियों के महीने-नवंबर, दिसंबर और जनवरी में मिलती है. इसकी खासियत ये है कि इसे भैंस के ताजे दूध से बनाया जाता है. ये किनारी बाजार के पास सुबह 9 बजे से 2 बजे तक और इसके बाद नई सड़क पर शाम 6 बजे तक मिलती है. ये चाट की दुकान खेमचंद आदेश कुमार ने शुरू की थी जोकि मुरादाबाद के रहने वाले हैं. वह पेशे से किसान थे. बाकी साल वह अपनी जीविका दिल्ली में गोलगप्पा और चाट बेचकर कमाते हैं.
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मसालों के होलसेल मार्केट खारी बावली में स्थित ये दुकान मालपुओं के लिए प्रसिद्ध है. 60 साल पहले इसे माखन लाल ने शुरू किया था, इसे अब उनके परपोते दिनेश कुमार चला रहे हैं. यहां बादामी आलू और नागौरी हलवा दिन के वक्त मिलता है और शाम को समोसे जैसे स्नैक्स मिलते हैं. ये घी से बनी पारंपरिक मिठाइयों को अलग अंदाज में बनाने के लिए जाने जाते हैं.
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चांदनी चौक में नया बांस बाजार में 15-20 दुकानें छोड़कर लेफ्ट साइड पर छोटी-सी त्रिलोकी हलवाई नाम की दुकान पर रोज सुबह 8 से रात 8 बजे तक गर्मागर्म खस्ता कचौड़ियां खाने वालों की भीड़ लगी रहती है. उड़द दाल की स्टफिंग की खस्ता कचौड़ी यहां मिलता है. हरे मटर की कचौड़ी तो और भी खाने में स्वादिष्ट होती है. दोनों स्टफिंग की कचौड़ियां आलू की गर्म-गर्म आलू सब्जी संग सर्व करते हैं.1970 से त्रिलोक चंद और उनके बेटे पन्ना लाल ने मिलकर शुरू किया था. आज राजेश कुमार और ऋषभ गुप्ता पिता-बेटे की जोड़ी अपने पुश्तैनी जायकों को फैला रहे हैं.
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खट्टे-मीठे, चटपटे चूर्ण खाने-चाहने वाले कई लोग भी खारी बावली में खिंचे आते हैं. फतेहपुरी से खारी बावली में गली बताशा से 3-4 दुकानें पहले लेफ्ट साइड पर सरदार जी चूर्ण वाले नाम से फेमस एकदम छोटी-सी दुकान के चूर्ण का बड़ा नाम है. बोर्ड पर गुरू नानक भंडार और हरदिल एंड संस भी लिखा है. एक से एक 31 से ज्यादा टेस्टी चूरन और पाचक चूर्ण की गोलियां खाने का मौका यहां मिलता है. पुदीना गोली, खट्टा जीरा, राम लड्डू, चटपटी गोली, खट्टा-मीठा छुहारा और न जाने क्या-क्या नाम के चूरन की वैरायटी हैं.
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