Pangong Tso Lake : पूरी दुनिया में लाखों झील (LAKE) हैं। हर झील की अपनी-अपनी खासियत होती है। एक ऐसी ही LAKE है जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं । ये झील आधे से ज्यादा वक्त बर्फ से ढकी रहती है। इतना ही नहीं ये LAKE एक दिन में पांच बार रंग भी बदलती है। तो आइए जानते है Pangong Tso Lake से जुड़े रहस्यों के बारे में
कहां है Pangong Tso Lake ?: Pangong Tso Lake को दुनिया की सबसे बड़ी और अनोखी झीलों में से एक माना जाता है। इस झील को पांगोंग त्सो भी कहा जाता है। लद्दाखी भाषा में पैंगोंग का अर्थ है समीपता और तिब्बती भाषा में त्सो का अर्थ झील होता है। पैंगोंग झील का नाम एक तिब्बती शब्द बैंगोंग सह से पड़ा है जिसका अर्थ है एक संकरी और मुग्ध झील। हिमालयी क्षेत्र में बसी ये एक मात्र झील है। ये झील लेह से करीब 140 किमी दूर है। समुद्र तल से करीब 4500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ये झील करीब 135 किलोमीटर लंबी है। ये झील करीब 604 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है। ये झील खारे पानी की होने की वजह से यहां पर मछली और अन्य कोई जलीय जीवन नहीं है,लेकिन प्रवासी पक्षियों के लिए ये जगह वरदान है।
इस झील का 45 किलोमीटर क्षेत्र भारत में है, जबकि 90 किलोमीटर क्षेत्र चीन में पड़ता है। वास्तविक नियंत्रण रेखा इस झील के मध्य से गुजरती है। इस झील का औसत तापमान माइनस 18 डिग्री से माइनस 40 डिग्री के बीच बना रहता है। ऐसा माना जाता है कि यह झील दिन में कई बार अपना रंग बदलती है, जिसके पीछे की वजह पानी में आयरन की मौजूदगी बताई जाती है।
Pangong Tso Lake का इतिहास : लद्दाख में स्थित 14256 फुट की ऊंचाई पर बसा पैंगोंग लेक पर तापमान्य शून्य से भी कई डिग्री नीचे रहता है। प्राकृतिक खूबसूरती के चलते यहां सैलानियों का जमावड़ा रहता है, लेकिन लेक में बोटिंग करने की परमिशन नहीं है। माना जाता है कि सन् 1684 में लद्दाख और तिब्बत के बीच तिंगमोसमांग की संधि हुई थी, जिसके मुताबिक यह झील लद्दाख और तिब्बत के बीच सीमा रेखा का कार्य करती थी। यह संधि लद्दाख के तत्कालीन राजा देलदान नामग्याल और तिब्बत के रीजेंट के बीच खलसी के बीच हुई थी। तब इस झील को दो देशों के बीच सीमा के रूप में स्वीकार किया गया था।
वहीं, पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, यह झील यक्ष राज कुबेर का मुख्य स्थान है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कुबेर की ‘दिव्य नगरी’ इसी झील के आसपास कहीं स्थित है, जिसका उल्लेख रामायण और महाभारत में मिलता है।
कैसे पहुंचें Pangong Tso Lake ?: पैंगोंग झील लेह से 140 किलोमीटर दूर है। पैंगोंग झील चीन- भारतीय वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पड़ती है, और इस खूबसूरत झील की यात्रा के लिए आपको इनर लाइन की अनुमति लेनी होती है। वहीं, पैंगोंग झील सीमा के बहुत करीब है, ऐसे में आपको केवल एक निश्चित क्षेत्र तक ही जाने की अनुमति होती है। जब भी यहां की यात्रा करने की सोचे तो बहुत सारे सर्दियों के कपड़े रख कर ले जाएं, क्योंकि यहां पर पारा माइनस में रहता है।
यहां पर अगर आप ठहरना चाहते है तो आपके लिए टेंट ही एकमात्र विकल्प है। हालांकि आप Lunkug और Spangmik में होटल तलाश सकते हैं। वहीं आप लेह में स्थित तांगत्से गांव जो की पैंगोंग 34 किलोमीटर दूर है वहां पर भी बजट होटल तलाश सकते हैं।
आप लेह- लद्दाख के कुशो बकुला रिनपोचे एयरपोर्ट से आ सकते है, इसके बाद आप वहां से कार या बस से आगे की यात्रा कर सकते हैं। वहीं दूसरा विकल्प आप ट्रेन का चुन सकते हैं, आप जम्मू तक ट्रेन से आ सकते हैं । तीसरा विकल्प श्रीनगर और मनाली से कार लेकर पैंगोंग झील तक पहुंच सकते हैं
Pangong Tso Lake की कब करें सैर?: जून से सितंबर के बीच किसी भी समय पैंगोंग झील की सैर आप कर सकते हैं, क्योंकि बचे हुए महीनों में यहां पर कड़ाके की सर्दियां पड़ती है और ये झील बर्फ से जम जाती है। वहीं, यहां पर खाने के सीमित विकल्प है, ऐसे में आप जब यात्रा करें तो खुद के साथ ही बना हुआ खाना ले जाएं। हालांकि कुछ स्थानीय लोग जो पर्यटकों को घर का बना खाना देते है, वो होटलों में मिलने वाले भोजन से बेहतर होता है।
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