Junagadh Travel Blog : गुजरात ( Gujarat ) का जूनागढ़ ( Junagadh ) जिला जो गिरनार पहाड़ियों की तलहटी पर बसा हुआ है। ये शहर इतिहास और वास्तुकला ( History and Architecture ) की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण शहर है। हरियाली और नवाबों के समकालीन किलों और महलों के कारण पर्यटकों को अपनी ओर बुलाता है। आइए जूनागढ़ के इतिहास, धार्मिक स्थलों को जानते हैं। और आपको बताते है यहां की ट्रिप प्लान करने का सही वक्त कौनसा है ?
कहां है जूनागढ़ ( Junagadh )? : जूनागढ़ ( Junagadh ) गुजरात ( Gujarat ) का एक जिला है जो सौराष्ट्र इलाके का हिस्सा है। मंदिरों की भूमि जूनागढ़ गिरनार हिल ( Girnar Hill ) की गोद में बसा हुआ है। ये मुस्लिम शासक बाबी नवाब के राज्य जूनागढ़ की राजधानी था। गुजराती भाषा में जूनागढ़ ( Junagadh ) का अर्थ होता है प्राचीन किला। इस पर कई वंशों ने शासन किया। यहां समय- समय पर Hindu, Buddhist, Jain और Muslim इन चार प्रमुख धर्मों का प्रभाव रहा है। राजनीतिक और धार्मिक शक्तियों के Coordination के कारण जूनागढ़ ( Junagadh ) बहुमूल्य संस्कृति का धनी रहा है।
सम्राट अशोक के शिलालेख: अगर आप जूनागढ़ ट्रिप ( Junagadh Trip ) पर जाएं तो आपको गिरनार वाले रास्ते में सम्राट अशोक महान के लगवाए हुए शिलालेखों का दीदार हो जाएगा है। ये शिलालेख विशाल पत्थरों पर उकेरे हुए हैं। सम्राट अशोक ने 14 शिलालेख लगवाए थे। इन शिलालेखों में राजकीय आदेश खुदे हुए हैं। इसके अतिरिक्त इसमें नैतिक नियम भी लिखे हुए हैं। अशोक के शिलालेखों पर ही शक राजा रुद्रदाम और स्कंदगुप्त के खुदवाए अभिलेखों को देखा जा सकता है। रुद्रदाम ( Rudradam ) ने 150 ई. में और स्कंदगुप्त ( Skandagupta ) ने 450 ई. में ये अभिलेख खुदवाए थे। इस अभिलेख ( Record ) की एक विशेषता ये भी है कि रुद्रदाम ( Rudradam ) के अभिलेख ( Record ) को ही संस्कृत भाषा ( Sanskrit language ) का प्रथम शिलालेख माना जाता है।
ऊपरकोट किला ( uparkot fort ): आप जब जूनागढ़ की सैर करें तो ऊपरकोट किला ( uparkot fort ) जाना ना भूलें। बताया जाता है कि इस किले का निर्माण चंद्रगुप्त मौर्य ( Chandra Gupta Mourya ) द्वारा लगभग 320 ईसा पूर्व में करवाया था। ऊपरकोट या ऊपरी गढ़ ( uparkot fort ) जूनागढ़ शहर ( Junagadh City ) का सबसे प्राचीन हिस्सा है। इसकी दीवारें कहीं- कहीं 12 फुट तक ऊंची हैं, और ऐसा कहा जाता है कि एक बार इस किले की 12 साल तक घेरेबंदी की गई थी। वहीं, इस किले की पश्चिमी दीवार पर दो तोपे लगी हैं। इन तोपों का नाम नीलम और कांडल है। इन तोपों का निर्माण मिस्र में हुआ था।
Sakkarbagh Zoological Park: जूनागढ़ ( Junagadh ) का ये Sakkarbagh Zoological Park सबसे पुराना है। ये पार्क 500 एकड़ में फैला हुआ है। यह गिर के विख्यात शेर के अलावा चीते और तेंदुए के लिए भी प्रसिद्ध है। बताया जाता है कि गिर के शेरों को लुप्त होने से बचाने के लिए जूनागढ़ ( Junagadh ) के नवाब ने 1863 ईस्वी में इस पार्क का निर्माण करवाया था। यहां शेर के अलावा Leopard, Bear, Snake भी आपको देखने को मिल सकते हैं।
अड़ी-काड़ी वेव और नवघन कुआं: अड़ी-काड़ी वेव और नवघन ( navghan ) कुआं का निर्माण चूडासमा राजपूतों ( Chudasama ) ने कराया था। इन कुओं की संरचना आम कुओं से बिल्कुल अलग तरह की है। पानी के संग्रह के लिए इसकी अलग तरह की संरचना की गई थी। ये दोनों कुएं युद्ध के समय दो सालों तक पानी की कमी को पूरा कर सकते थे। अड़ी-कड़ी वाव तक पहुंचने के लिए 120 पायदान नीचे उतरना होता है, जबकि नवघन कुंआ ( navghan ) 52 मीटर की गहराई में है। इन कुंओं तक पहुंचने के लिए गोलाकार सीढि़यां बनी हुई है।
Gir National Park: गिर नेशनल पार्क गुजरात में एक वन्यजीव अभयारण्य है। इसकी स्थापना एशियाटिक शेरों की सुरक्षा के लिए की गई थी। Gir National Park और वन्यजीव अभयारण्य को सासन गिर नेशनल पार्क के नाम से भी जाना जाता है। गिर राष्ट्रीय उद्यान गुजरात ( Gujarat ) के तालाला गिर के पास स्थित है। इस पार्क को 1965 में स्थापित किया गया था। गिर नेशनल पार्क घूमने के लिए कुछ शुल्क देने पड़ते हैं। भारतीय पर्यटकों के लिए, entrance fees 75 रुपये है, जबकि विदेशी पर्यटकों के लिए यह 100 रुपये है। सफारी के लिए Vehicle fee 35 रुपये है, Photography fee 100 रुपये है और Guide service के 4 घंटे के लिए शुल्क 50 रुपये है। सफारी में घूमने के लिए बुकिंग ऑनलाइन भी कर सकते हैं।
बौद्ध गुफा ( Buddhist Cave ): जूनागढ़ ( Junagadh ) आने पर आप बौद्ध गुफा ( Buddhist Cave ) को देखने जा सकते है। इस गुफा को चट्टानों को काट कर बनाया गया है। इस गुफा में बने खंभे, प्रवेशद्वार, पानी के संग्रह के लिए बनाए गए जल कुंड, चैत्य हॉल, वैरागियों का प्रार्थना कक्ष, चैत्य खिड़कियां स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण पेश करती हैं। इसके अलावा शहर में स्थित खापरा- कोडिया की गुफाएं भी देखने लायक है।
गोंडल : गोंडल ( Gondal ) जूनागढ़ ( Junagadh ) से करीब 64 किलोमीटर दूर है। यहां पर पर्यटकों के बहुत कुछ है। यहां का नौलखा महल बेहद ही शानदार है। जो पत्थरों पर की गई नक्काशी, खंभों वाले प्रांगण, शानदार झरोखे, घुमावदार सीढ़ियों, भव्य दरबार हॉल और खूबसूरत फर्नीचर के लिए जाना जाता है। इसके बिल्कुल पास गोंडाली नदी के किनारे भव्य रिवरसाइड महल ( Riverside Palace ) भी है। रिवरसाइड महल ( Riverside Palace ) को शाही रियासत गोंडा के महाराज भगवत सिंहजी ने अपने बेटे युवराज भोजराजी के लिए सन 1875 में बनवाया था। यहां पर एक संग्रहालय ( museum ) भी है।
जामा मस्जिद: जामा मस्जिद ( Jama Masjid ) ऊपरकोट ( uparkot ) के अंदर स्थित है। यह मस्जिद पहले रानकदेवी ( Rankadevi ) का महल था। लेकिन सौराष्ट्र के राजकुमार के हारने के बाद सुल्तान मोहम्मद बेगड़ा ने इसे मस्जिद में बदल दिया। इस महल को 1470 ईस्वी में महल से मस्जिद बनाया गया था। इस मस्जिद की खास बात ये है कि ये खूबसूरत मस्जिद अपने 140 खंभों के लिए जानी जाती है, जो छत को सहारा देती है।
भवनाथ मंदिर: गिरनार पर्वत ( Girnar Mountains ) की तलहटी में स्थित भगवान शिव को समर्पित भवनाथ मंदिर ( Bhavnath Temple ) को जूनागढ़ ( Junagadh ) के पवित्रतम स्थलों में से एक माना जाता है। इस मंदिर की उत्पति अज्ञात है, लेकिन माना जाता है कि यह अनादि काल से यहां मौजूद है। इस मंदिर में हर साल जनवरी- फरवरी के दौरान माघ मास में आयोजित किया जाने वाला माघ मेला श्रद्धालुओं के बीच काफी लोकप्रिय है। वहीं अक्टूबर- नवंबर महीने में पूर्णिमा के दिन इस मंदिर पर नया ध्वज फहराए जाने के उत्सव के साथ-साथ यहां एक परिक्रमा का आयोजन भी किया जाता है। यह परिक्रमा करीब 40 किलोमीटर की होती है, और पांच दिन तक इसका आयोजन होता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव स्वयं यहां उपस्थित होते हैं इसीलिए उनके स्वागत में यह उत्सव आयोजित किया जाता है।
गिरनार पर्वत: गिरनार पर्वत पर जाने के लिए दामोदर कुंड ( Damodar Kund ) के पास बनी सीढ़ियों से जाया जा सकता है। ये गिरनार पर्वत गुजरात ( Gujarat ) का एक प्रमुख तीर्थ रहा है। यहां पर खूब सारे हिंदू और जैन मंदिर ( Hindu, Jain Temples ) हैं जो इस पर्वत पर अलग- अलग जगहों पर हैं। ऐसी मान्यता है कि इन्हीं में से किसी स्थान पर तपस्या करने के बाद 22वें जैन तीर्थंकर ने शरीर त्यागा था। ज्यादातर यात्री यहां पर होने वाले गिरनार महोत्सव ( Girnar Festival ) पर आते हैं।
महाबत मकबरा: महाबत मकबरा( Mahabat Makabara ) जूनागढ़ ( Junagadh ) में स्थित है। शुरुआत में इसे जूनागढ़ ( Junagadh ) के नवाब अपने निजी महल के तौर पर इस्तेमाल करते थे। अपनी वास्तुकला के लिए पहचानी जाने वाली यह इमारत सबसे पुराने मुगल स्मारकों में से एक है।
कैसे जाएं : अगर आप BY AIR आते हैं तो जूनागढ़ ( Junagadh ) के पास राजकोट ( Rajkot ) एयरपोर्ट है। ये Airport जूनागढ़ से 102 किलोमीटर है। ये एयरपोर्ट भारत के प्रमख शहरों से जुड़ा हुआ है। वहीं अगर आप रेल मार्ग से जूनागढ़ ( Junagadh ) आना चाहते हैं तो आसानी से आ सकते है। सड़क मार्ग से भी जूनागढ़ ( Junagadh ) पहुंचना आसान है। गुजरात ( Gujarat ) के सभी स्थानों से सड़क द्वारा जुड़ा हुआ है।
कब जाएं: अब सवाल ये उठता है कि जूनागढ़ की सैर पर कब निकले तो यहां के लिए अक्टूबर से मार्च के बीच मौसम बहुत अच्छा रहता है।
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