Uttarakhand Tour – कोरोना महामारी ने देशभर में लोगों को परेशान किया हुआ है. हर कोई अभी यही चा रहा है कि जल्द से जल्द इस महामारी से छुटकारा मिले और कही आस-पास घूमने निकल जाए. तो आज आपको दिल्ली के आस-पास ऐसी जगहों के बारे में बताएंगे जहां आप आसानी से पहुंच सकते हैं.
उत्तराखंड एक छोटे और सुंदर पहाड़ी नगर के रूप में नजर आता है. रोजमर्रा की जिंदगी और महानगरों के शोर से दूर कुछ पल शांति से बिताने वालों के लिए यह खास ठिकाना है. वैसे, यदि आप कुदरती खूबसूरती के साथ-साथ रोमांचक खेलों का लुत्फ भी उठाना चाहते हैं तो इस लिहाज से यह एक सही जगह है इसके आसपास कैंपिंग, राफ्टिंग, ट्रेकिंग, रैपलिंग, रॉक क्लाइंबिंग का आनंद उठा सकते हैं. यहां हर तरफ ऐतिहासिक, पुरातात्विक, सामाजिक और सांस्कृतिक वैभव बिखरा हुआ है. यहां आते ही आप कह उठेंगे कि यही तो है कोई ख्वाबों की दुनिया.
कुमाऊं क्षेत्र नैनीताल में हिमालयन रिसोर्ट टाउन, जिसमें खूबसूरत पन्ना हरी झील की स्थापना की गई है. यह अब तक का सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल है. सातताल की सात झीलों में से एक झील पन्ना झील अपने चारों ओर की प्राकृतिक सुंदरता के लिये प्रसिद्ध है. इस झील का पानी का रंग बदलते रहता है. जहां अन्य झीलों के पानी का रंग अधिकांश समय हरा रहता है तो वहीं पन्ना झील के पानी का रंग गहरे नीले रंग के होने के कारण पर्यटक दूर से इसकी ओर आकर्षित होते हैं. इस झील का रखरखाव सातताल मिशन के जिम्मे है.
झील के चारों ओर सभी प्रकार के निर्माण पर रोक होने के कारण झील की खूबसूरती देखते ही बनती है. इस झील के चारों और अन्य नल दमयंती, पूर्णाताल, सीतताल, रामताल, लक्ष्मण ताल, और सूखाताल छ झील होने के बावजूद यहां शांति के कारण पर्यटक रुकना ज्यादा पसंद करते हैं.
द्वापर युग की कथा के मुताबिक राजा नल और उनकी पत्नि दमयंती सातताल क्षेत्र में कई समय तक प्रवास किया था और उन्होंने अपना महल भी यहां मनाया था. इसी क्षेत्र में वनखंडी महाराज का मंदिर भी ऊंचाई में चोटी में है. मान्यता है कि यहां पूजा अर्चना करके लोंगों को साक्षात लाभ मिलता है. वन खंडी महाराज के दर्शन से मात्र सभी दुखदर्द दूर होने की भी मान्यता है. इस झील की गहराई बहुत अधिक है इसलिये झील में किसी प्रकार की एक्टिविटी पर पूर्ण प्रतिबंध है.
Self Drive : गूगल मैप में लोकेशन सेट कीजिए और 7-8 घंटे के भीतर यहां आराम से पहुंच जाएंगे.
By Train : काठगोदाम रेलवे स्टेशन पंगोट से लगभग 20 किमी दूर है. यहां से, एक टैक्सी सबसे अच्छा तरीका है. आप बसों की तरह सार्वजनिक परिवहन भी पकड़ सकते हैं.
By Road : यह राज्य के सभी हिस्सों से एक अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. दिल्ली से, आनंद विहार, हल्द्वानी, काठगोदाम या रामनगर तक एक बस पकड़ें. इन सभी मुख्य शहरों से आप आसानी से टैक्सी और बसें ले सकते हैं
By Air : पंतनगर हवाई अड्डा लगभग 58 किलोमीटर पर नजदीक हवाई अड्डा है. आप हवाई अड्डे से कैब बुक कर सकते हैं.
लैंसडाउन, दिल्ली से 258 किमी की दूरी पर एक पहाड़ी वाला इलाका है. लैंसडाउन शांत और खूबसूरत जगह है. ये हिल स्टेशन पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित है और अपने तार और देवदार से भरे जंगलों और खूबसूरत नजारों के लिए प्रसिद्ध है. जहां ऋषिकेश, बदरीनाथ, केदारनाथ, हरिद्वार, देहरादून, मसूरी आदि में टूरिस्ट की भीड़ जमा रहती है वहीं दूसरी ओर लैंसडाउन में आपको शांति का अनुभव होगा.
लैंसडाउन वैसे तो मेन रोड से कनेक्टेड है, लेकिन यहां फिर भी शांति बहुत है, यहां आकर आपको काफी अच्छा लगेगा. लैंसडाउन का असली नाम ‘कालूडंडा’ था. गढ़वाली भाषा में इसका मतलब है काला पहाड़. इसके बाद 1857 में भारत से तत्कालीन वाइसरॉय लॉर्ड लैंसडाउन के नाम पर इस शहर का नाम लैंसडाउन पड़ गया.
ये गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट का ट्रेनिंग सेंटर बनाया गया, ये सेंटर पहले अल्मोड़ा में स्थित था. अगर आपको शहर की भीड़भाड़ से थोड़ी सी शांति चाहिए तो यहां जा सकती हैं. इस खूबसूरत हिल स्टेशन की लोकल भाषा गढ़वाली और हिंदी है.’तारकेश्वर महादेव मंदिर, दुर्गा देवी मंदिर, भुल्ला लेक, ज्वालपा देवी मंदिर, कावाश्रम, सेंट मैरी चर्च, टिप-एंड-टॉप 4′ आदि यहां के चर्चित पिकनिक स्पॉट्स हैं. आप यहां फैमिली के साथ एक अच्छी वेकेशन मना सकती हैं.
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यहां जाने के लिए आपको प्री-बुकिंग करवाने की जरूरत नहीं होगी आप वहां जाकर अपने हिसाब से जगह चुन सकती हैं. ये बहुत ही अच्छा टूरिस्ट डेस्टिनेशन साबित हो सकता है अगर आप शांति से कुछ दिन गुजारना चाहती हैं.
Self Drive – अगर आप दिल्ली से ड्राइव कर लैंसडाउन जा रहे हैं तो ये 4-5 घंटे का रास्ता है. ये दिल्ली से 283 किलोमीटर दूर है. ये पौड़ी से लगभग 83 किलोमीटर दूर है.
By train – अगर आपको ट्रेन से लैंसडाउन पहुंचना है तो ये कोटद्वार स्टेशन के जरिए मुमकिन है. ये लैंसडाउन से 44 किलोमीटर दूर है. इसके आगे आपको कैब करके लैंसडाउन पहुंचना होगा.
By Road- अगर आपको बस से जाना है तो आप दिल्ली के यहां के लिए बस ले सकते हैं. बस से आप 5-6 घंटे में पहुंच जाएंगे.
By Air – लैंसडाउन से सबसे करीबी एयरपोर्ट है देहरादून के पास स्थित जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है. यहां से 152 किलोमीटर का सफर आपको रोड के जरिए तय करना होगा.
चकराता राजधानी उत्तराखंड राज्य के बहुत करीब स्थित,चकराता में शंकुधारी वन,रोमांचक ट्रेक,गुफाएं और प्राचीन मंदिर हैं. चकराता के पास 2800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मखमली घास का मैदान बुधेर (मोइला दंडा) कहलाता है. बुधेर एशिया के बेहतरीन जंगलों में से एक है. यहां चूना पत्थर की प्रचुरता की वजह से कई छोटी-बड़ी गुफाएं भी हैं. यहां देवदार वन के बीच स्थित चकराता वन प्रभाग द्वारा निर्मित विश्राम गृह में ठहरना भी बेहद सुकूनदायक है. यदि आप ट्रेकिंग के शौकीन हैं और इसके नए-नए ठिकानों की तलाश में रहते हैं तो यहां आएं.
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यहीं चकराता के पास लगभग दस हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित मुंडाली व खडंबा की पहाड़ियां हैं. ये ट्रेकिंग के लिए पंसदीदा जगहें बनती जा रही हैं. यहां आसपास बने लोक देवी-देवताओं के मंदिर भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं. टाइगर फॉल (1395 मीटर) छावनी बाजार चकराता से 17 किमी. दूर लाखामंडल मार्ग पर स्थित है. इसकी सबसे बड़ी खासियत इसकी शेर की दहाड़ जैसी आवाज है. यदि आप यहां से गुजरते हैं तो इसकी आवाज आपको अपनी ओर खींच लाएगी. हालांकि शेर की तरह दहाड़ते इस झरने के आसपास का नजारा भी बेहतरीन है. एक बार यहां आएं और देर तक ठहरकर ढेर सारी ऊर्जा लेकर वापस जाएं.
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने वर्ष 1957 में चकराता क्षेत्र का दौरा किया था. जौनसार-बावर क्षेत्र को अलग बोली-भाषा, पहनावा, रीति-रिवाज, अनूठी संस्कृति व परपंरा के मद्देनजर तत्कालीन सरकार ने वर्ष 1967 में जनजातीय क्षेत्र घोषित किया था. जौनसार-बावर की खूबसूरत वादियों का लुत्फ लेने के लिए मार्च से जून और अक्टूबर से दिसंबर का समय सबसे उपयुक्त होता है. जून के आखिर से सिंतबर के मध्य यहां बरसात होती है, जबकि सर्दियों में यहां जबर्दस्त ठंड पड़ती है.
देहरादून से चकराता की दूरी सड़क मार्ग से करीब 90 किमी. है. देहरादून से आप दो रास्तों मसूरी-नागथात और विकासनगर-कालसी होकर बस, टैक्सी या अन्य छोटे वाहनों से चकराता पहुंच सकते हैं. चकराता क्षेत्र में पेट्रोल पंप की सुविधा नहीं है, इसलिए निजी वाहन से आने वाले पर्यटक विकासनगर व कालसी में टैंक फुल कराकर ही आएं.
By Air – जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, देहरादून हवाई अड्डा, चकराता से 46 किलोमीटर. हवाई अड्डे से, टैक्सी लेना आसान है.
By Train – दिल्ली से देहरादून रेलवे के लिए भी काफी सुविधाजनक है.
By Road – यह दिल्ली से 321.4 किलोमीटर है, चकराता के लिए ड्राइविंग आसान है.
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