Adventure Tour

वनवास के दौरान वो जगह, जहां-जहां रुके थे भगवान SHRI RAM

क्या आप जानते हैं की मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान ( SHRI RAM ) श्री राम 14 साल के वनवास के दौरान कहां-कहां पर रूके। किन- किन लोगों से मिले। क्या आप कोई नाम बता सकते हैं। चलिए कोई नहीं आप अपने दिमाग पर ज्यादा जोर मत डालिए, हम आपको इस लेख के जरिए बताने जा रहे हैं, वो कौनसी जगह जहां पर श्रीराम, माता सीता और भगवान लक्ष्मण ने वनवास के दौरान वक्त गुजारा।

जाने-माने इतिहासकार और पुरातत्वशास्त्री अनुसंधानकर्ता डॉ. रामअवतार ने ( SHRI RAM ) श्रीराम और सीता के जीवन की घटनाओं से जुड़े ऐसे 249 से भी अधिक स्थानों का पता लगाया है जहां श्रीराम और सीताजी वनवास के दौरान रुके थे।

तमसा नदी:  तमसा नदी अयोध्या से 20 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां के गौरा घाट पर श्रीराम जी ने वनवास की प्रथम रात को विश्राम किया था। तमसा का वर्तमान नाम मंडाह एवं मढ़ार है। ये स्थल गौरा घाट के नाम से प्रसिद्ध है।

श्रृंगवेरपुर तीर्थ: श्रृंगवेरपुर तीर्थ यूपी के प्रयागराज जिले में आता है। श्रृंगवेरपुर वो स्थान हैं, जहां केवट ने रामजी को गंगा पार पहुंचाया लेकिन उतराई नहीं ली। यहां पर रामजी भैया, माता सीता और भगवान लक्ष्मण ने एक रात्रि का विश्राम किया। श्रृंगवेरपुर को वर्तमान में सिंगरौर कहा जाता है।

कुरई गांव: सिंगरौर में गंगा पार करने के बाद श्रीराम कुरई में रुके थे। ऐसी मान्यता है कि श्रृंगवेरपुर में गंगा नदी पार करते समय सीता मां गंगा पार से एक मुट्ठी रेती लाईं थीं। उस रेती की कूरी कर उन्होंने भगवान शिव की पूजा की थीं। बाद में यहां शिव मन्दिर की स्थापना हुई।

प्रयाग: कुरई से आगे चलकर श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी समेत प्रयाग पहुंचे थे। प्रयाग को वर्तमान में प्रयागराज कहा जाता है। कुछ समय पहले तक इसे संगम नगरी इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था।

चित्रकूट: प्रयाग से आगे चलकर प्रभु श्रीराम यमुना नदी पार करते हुए चित्रकूट पहुंचे थे। चित्रकूट वह जगह है, जहां राम को मनाने के लिए भरत अपनी सेना के साथ आए थे। तब जब दशरथ का देहांत हो जाता है। भरत यहां से राम की चरण पादुका ले जाकर उनकी चरण पादुका रखकर राज्य करते थे।

सीता पहाड़ी चित्रकूट: सीता पहाड़ी यूपी के चित्रकूट में स्थित है। मान्यता के मुताबिक वनवास के दौरान सीता माता, राम जी ने यहां विश्राम किया था।

सतना: चित्रकूट के बाद श्रीराम मध्यप्रदेश के सतना पहुंचे थे, जहां पर श्रीराम, मां सीता की अत्रि मुनि और मां अनुसूइया की अद्भुत भेंट हुई थी। हालांकि अनुसूइया पति महर्षि अत्रि चित्रकूट के तपोवन में रहा करते थे, लेकिन सतना में ‘रामवन’ नामक स्थान पर भी श्रीराम रुके थे, जहां ऋषि अत्रि का एक ओर आश्रम था। रामायण के अयोध्याकांड के अनुसार,  यहां पर ही प्रभु श्रीराम ने आश्रम के आस-पास राक्षसों के समूह का वध किया था।

दंडकारण्य: चित्रकूट और सतना के बाद श्रीराम घने वन दंडकारण्य पहुंचे थे। त्रेतायुगीन दंडक वन को दंडकारण्य वन भी करते हैं। जहां श्रीराम ने पर्णकुटी बनाकर यहां लगभग 10 साल से भी अधिक अपना वनवास काटा था। साथ ही अनेकानेक आसुरी शक्तियों का संहार कर ऋषि मुनियों को उनके आतंक से निजात दिलाई थी। भद्राचलम में वह पर्णशाला आज भी मौजूद है। यही नहीं यहां कुछ ऐसे शिलाखंडों के चिह्न आज भी देखे जा सकते हैं जिनके बारे में यह माना जाता है कि सीता जी ने वनवास के दौरान वहां अपने वस्त्र सुखाए थे। आंध्रप्रदेश का एक शहर भद्राचलम है। ये शहर गोदावरी नदी के तट पर बसा हुआ है, ये शहर सीता और रामचंद्र के मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है।

पंचवटी नासिक, (महाराष्ट्र): दण्डकारण्य में मुनियों के आश्रमों में रहने के बाद श्रीराम अगस्त्य मुनि के आश्रम गए। यह आश्रम नासिक के पंचवटी क्षे‍त्र में है जो गोदावरी नदी के किनारे बसा है। यहीं पर लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काटी थी। राम-लक्ष्मण ने खर और दूषण के साथ युद्ध किया था। गिद्धराज जटायु से श्रीराम की मित्रता भी यहीं हुई थी। वाल्मीकि रामायण, अरण्यकांड में पंचवटी का मनोहर वर्णन मिलता है।

रावण ने किया सीता का हरण: रामायण के अरण्य कांड में सीता हरण की कथा मिलती है। रावण ने पंचवटी के पास माता सीता का अपहरण करके वह लंका ले गया था। लंका में रावण ने माता सीता को अशोक वाटिका में रखा था। अशोक वाटिका में विभिषण की पत्नी सरमा और उनकी बेटी त्रिजटा माता सीता की देखभाल करती थी। उल्लेखनीय है कि नासिक क्षेत्र में शूर्पणखा, मारीच और खर और दूषण के वध के बाद ही रावण ने सीता का हरण किया और जटायु का भी वध किया था जिसकी स्मृति नासिक से 56 किमी दूर ताकेड गांव में ‘सर्वतीर्थ’ नामक स्थान पर आज भी संरक्षित है। जटायु की मृत्यु सर्वतीर्थ नाम के स्थान पर हुई, जो नासिक जिले के इगतपुरी तहसील के ताकेड गांव में है। इस स्थान को सर्वतीर्थ इसलिए कहा गया, क्योंकि यहीं पर मरणासन्न जटायु ने सीता माता के बारे में बताया था। रामजी ने यहां जटायु का अंतिम संस्कार करके पिता और जटायु का श्राद्ध-तर्पण किया था। इसी तीर्थ पर लक्ष्मण रेखा थी।

पर्णशाला,(आंध्रप्रदेश): पर्णशाला आंध्रप्रदेश में खम्माम जिले के भद्राचलम में स्थित है। रामालय से लगभग 1 घंटे की दूरी पर स्थित पर्णशाला को ‘पनशाला’ या ‘पनसाला’ भी कहते हैं। पर्णशाला गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। मान्यता के मुताबिक यही वह जगह है, जहां से सीताजी का हरण हुआ था। हालांकि कुछ मानते हैं कि इस स्थान पर रावण ने अपना विमान उतारा था। इस स्थल से ही रावण ने सीता को पुष्पक विमान में बिठाया था। इसी से वास्तविक हरण का स्थल यह माना जाता है। यहां पर राम-सीता का प्राचीन मंदिर है।

राम की वनवास यात्रा का सातवां पड़ाव सर्वतीर्थ से तुंगभद्रा और वहां से कावेरी नदी के तट तक कई क्षेत्रों से होकर गुजरा। क्योंकि इस दौरान वो सीता की खोज कर रहे थे।

शबरी का आश्रम : तुंगभद्रा और कावेरी नदी को पार करते हुए राम और लक्ष्मीण सीता माता की खोज में चले जा रहे थे। इस दौरान वो ऋष्यमूक पर्वत पहुंचे, हालांकि रास्ते में वे पम्पा नदी के पास शबरी आश्रम भी गए थे, जो आजकल केरल में है। यहां पर श्रीराम ने शबरी के झूठे बेर खाए थे। यह स्थान बेर के वृक्षों के लिए आज भी प्रसिद्ध है। यहां शबरी मां की पूजा वन शंकरी, आदि शक्ति तथा शाकम्भरी देवी के रूप में की जाती है।

ऋष्यमूक पर्वत : मलय पर्वत और चंदन वनों को पार करते हुए वे ऋष्यमूक पर्वत की ओर बढ़े। ये वहीं पर्वत है जहां पर श्री राम और हनुमानजी का मिलन हुआ था। साथ सुग्रीव से भी भेंट हुई थी। श्रीराम भगवान ने यहीं पर सीता के आभूषणों को भी देखा था। इसके अलावा बाली का श्रीराम ने वध किया था। ऋष्यमूक पर्वत वाल्मीकि रामायण में वर्णित वानरों की राजधानी किष्किंधा के पास स्थित था। ऋष्यमूक पर्वत तथा किष्किंधा नगर कर्नाटक के हम्पी, जिला बेल्लारी में है। पास की पहाड़ी को ‘मतंग पर्वत’ कहा जाता है। इसी पर्वत पर मतंग ऋषि का आश्रम था जो हनुमानजी के गुरू थे।

कोडीकरई (तमिल नाडु) : राम की वनवास यात्रा का दसवां पड़ाव कोडीकरई था। यहां राम ने पहले अपनी सेना बनाई। जब देखा यहां से समुद्र को पार नहीं किया जा सकता तो सेना सहित रामेश्वरम की ओर कूच किया।

रामेश्वरम: रामेश्वरम वनवास यात्रा का ग्यारहवां पड़ाव रहा। ये रामेश्वपरम समुद्र तट एक शांत समुद्र तट है, और यहां का छिछला पानी तैरने और सन बेदिंग के लिए आदर्श है। रामेश्वेरम प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ केंद्र है। महाकाव्य रामायण के अनुसार भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने के पहले यहां भगवान शिव की पूजा की थी। रामेश्वरम का शिवलिंग श्रीराम द्वारा स्थापित शिवलिंग है।

धनुषकोडी (तमिलनाडु): राम की यात्रा बारहवां पड़ाव रहा धनुषकोडी। इस जगह को भगवान राम ने ढूंढा था, क्योंकि यहां से आसानी से श्रीलंका पहुंचा जा सकता था। इसी स्थान पर नल-नील की मदद से सेतू का कार्य शुरू हुआ था। इसका नाम धनुषकोडी इसलिए है कि यहां से श्रीलंका तक वानर सेना के माध्यम से नल और नील ने जो पुल (रामसेतु) बनाया था उसका आकार मार्ग धनुष के समान ही है।

‘नुवारा एलिया’ पर्वत श्रृंखला: वाल्मीकिय- रामायण अनुसार श्रीलंका के मध्य में रावण का महल था। ‘नुवारा एलिया’ पहाड़ियों से लगभग 90 किलोमीटर दूर बांद्रवेला की तरफ मध्य लंका की ऊंची पहाड़ियों के बीचो-बीच सुरंगों और गुफाओं के भंवरजाल से होकर गुजरे थे। यहां ऐसे कई पुरातात्विक अवशेष मिलते हैं जिनकी कार्बन डेटिंग से इनका काल निकाला गया है।

श्रीलंका में नुआरा एलिया पहाड़ियों के आसपास स्थित रावण फॉल, रावण गुफाएं, अशोक वाटिका, खंडहर हो चुके विभीषण के महल आदि की पुरातात्विक जांच से इनके रामायण काल के होने की पुष्टि होती है। आजकल भी इन स्थानों की भौगोलिक विशेषताएं, जीव, वनस्पति तथा स्मारक आदि बिलकुल वैसे ही हैं जैसे कि रामायण में वर्णित किए गए हैं।

Recent Posts

Maha Kumbh 2025: कुंभ मेले के लिए प्रयागराज जा रहे हैं? ठहरने के लिए जाएं इन किफायती जगहों पर

Maha Kumbh 2025 : उत्तर प्रदेश का प्रयागराज इस समय देश के केंद्र में है… Read More

2 days ago

Christmas: Happy की बजाय क्यों कहते हैं Merry Christmas? Festival में कहां से हुई Santa Claus की एंट्री

Christmas : इस लेख में हम बात करेंगे कि क्रिसमस क्यों मनाया जाता है और इससे… Read More

3 days ago

Christmas Shopping 2024 : क्रिसमस की Shopping के लिए Delhi-NCR के इन बाजारों में जाएं

Christmas Shopping 2024 :  क्रिसमस आने वाला है.  ऐसे में कई लोग किसी पार्टी में… Read More

6 days ago

Kumbh Mela 2025: प्रयागराज में किला घाट कहां है? जानिए क्यों है मशहूर और कैसे पहुंचें

Kumbh Mela 2025 : उत्तर प्रदेश का प्रयागराज इस समय देश के केंद्र में है… Read More

1 week ago

सर्दियों में खाली पेट गर्म पानी पीने के 5 फायदे

Hot water : सर्दियां न केवल आराम लेकर आती हैं, बल्कि कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं… Read More

1 week ago

Jaunpur Tour : जौनपुर आएं तो जरूर घूमें ये 6 जगह, यहां से लें Full Information

 Jaunpur Tour : उत्तर प्रदेश के जौनपुर शहर की यात्रा करना हमेशा एक सुखद अनुभव… Read More

1 week ago