Cherrapunji – चेरापूंजी का नाम लेते ही आपके जहन में सबसे पहले क्या विचार आता है, स्कूल की वो GK बुक जिसमें एक अहम सवाल जवाब हुआ करता था चेरापूंजी. स्कूल में पढ़ा गया वह सवाल आप आज भी नहीं भूले होंगे. वो सवाल था भारत में सबसे ज्यादा बारिश कहा होती है ? जिसका जवाब क्लास में बैठा हर Student बहुत उत्साह से जवाब देता था, चेरापूंजी. आज भले ही सबसे ज्यादा बारिश वाली जगह में चेरापूंजी का नाम पीछे हो गया हो लेकिन घूमने के लिहाज से चेरापूंजी आज भी मेघालय में अव्वल डेस्टिनेशन बना हुआ है.
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भारत में हर साल सबसे अधिक वर्षा वाले स्थान के रूप में मेघालय के एक स्थान चेरापूंजी ( Cherrapunji ) के बारे में आपने जरूर पढ़ा होगा, यहां तक कि आपने स्कूल में भी पढ़ा होगा लेकिन अब चेरापूंजी दूसरे स्थान पर है. पहले पहले स्थान पर मासिनराम है जो उसी राज्य का क्षेत्र है. चेरापूंजी के बारे में इस बात के अलावा कुछ भी उल्लेख नहीं किया गया है, हालांकि इसके बारे में बताने के लिए बहुत कुछ है. मेघालय राज्य की राजधानी से 56 कि.मी. की दूरी पर पूर्व खासी पहाड़ियों की गोद में स्थित चेरापूंजी को ‘मेघालय का शिरोमणि’ (मेघालय का गहना) के रूप में जाना जाता है. चेरापूंजी में मनोरंजन के लिए कई झरने, लिविंग ब्रिज और चूना पत्थर की गुफाओं जैसे मनमोहक स्थान हैं.
चेरापूंजी को मूल रूप से सोहरा के नाम से भी जाना जाता है, चेरापूंजी को ब्रिटिश लोगों के द्वारा ‘चुरा’ के रूप में उच्चारित किया गया था, जो बाद में चेरापूंजी में बदल गया, जिसका अर्थ है ‘संतरों की भूमि’. चेरापूंजी घूमने के लिए एक शानदार जगह है. यहां पर कुछ स्थान और झरने जैसे डेन थ्लेन फॉल्स (5 किमी दूर), नोहसिंघिथिआंग फॉल्स और नोहकालिकाइ फॉल्स बहुत ही सुंदर और दर्शनीय हैं. इशके साथ ही आश्चर्यजनक गुफाएं हैं, जो यात्रा के लायक है और शहर के नजदीक ही स्थित हैं. मॉस्मई गुफाएं सबसे प्रसिद्ध गुफाओं में से एक है, जिसमें प्रकाशमई हलोजन लैंप्स हैं और यह गुफा 820 फिट लंबी हैं. यह गुफा शहर से लगभग 6 कि.मी. की दूरी पर स्थित है.
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इस प्रकार की कुदरती संरचनाएं आपको प्रकृति की अनेकरूपता के प्रति हमेशा मोहित कर देती हैं. इस गुफा के इर्द-गिर्द आपको घने जंगल नज़र आएंगे जिनमें सिर्फ जंगली पेड़-पौधे हैं. यह गुफा दुनिया की सबसे लंबी रिकॉर्डधारी गुफा से भी 6000 मीटर लंबी हैं. अभी तक दुनिया की सबसे लंबी बलुआ पत्थर की गुफा का रिकॉर्ड वेनुजुएला के एडो जुलिया में स्थित क्यूवा डेल समन के नाम है. जो 18,200मीटर लंबी है. यह गुफा सामान्य श्रेणी में भारत की दूसरी सबसे लंबी गुफा है.
चेरापूंजी लिविंग रूट ब्रिज के लिए भी मशहूर है जो यहां के लोगों द्वारा बनाए गए बायो-इंजीनियरिंग प्रैक्टिस का बेहतरीन नमूना है. एक समय में इस पर 50 लोगों गुजर सकते हैं. इस दो-मंजिला ब्रिज की बनावट काफी आकर्षक है. खासी और जैन्तिया हिल्स में काफी नमी और नदियों वाला क्षेत्र है. यहां भारतीय रबर के पेड़ काफी पाए जाते हैं. जिनकी जड़ें काफी लंबी और मजबूत होती हैं. यह ब्रिज लगभग 50 मीटर लंबा है और 1.5 मीटर चौड़ा है. डबल डेकर लिविंग रूट ब्रिज के नीचे उमशियांग नदी बहती है और यह प्रकृति और इंजीनियरिंग एक अदभुद उदाहरण है. अगर आप इस ब्रिज का दौरा करने के लिए जा रहें हैं तो अपने साथ अपने बेकपैक्स में बहुत ज्यादा सामान न लेकर जाएं
अगर आप हरियाली के बीच खूबसूरत झरनों का आनंद लेना चाहते हैं तो चेरापूंजी एकदम परफेक्ट डेस्टिनेशन है. यहां कई तरह के वॉटरफॉल हैं जिनकी वनावट भी एक-दूसरे से थोड़ी अलग है. नोहकलिकाइ वाटरफॉल, सेवेन सिस्टर, कावा फॉल्स, वकाबा फॉल्स के अलावा भी कई झरने देखने को मिलेंगे. इसका अलावा यहां मवासमई और आरवाह गुफा हैं जो आपको रोमांचक अनुभव कराती हैं. इनकी बनावट बेहद खास है.
नोहसिंघिथिआंग फॉल्स सात बहनों का झरना के रूप में भी जाना जाता है, जो मेघालय के पूर्वी खासी पहाड़ियों के मावसमाई गांव में स्थित है. नोहसिंघिथिआंग फॉल्स एक खंड वाले प्रकार का झरना हैं और मेघालय में तीसरे सबसे ऊंचे झरने में से एक है.
यहां की खूबसूरती में चार चांद लगाता है ईको पार्क. इसे मेघालय सरकार ने बनाया है. जिसमें आर्चिड के फूलों की खूबसूरती देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. ग्रीन हाउस में लगाए गए इन फूलों की देखभाल शिलॉन्ग एग्री-हॉर्टीकल्चरल सोसायटी करती है. यहां से बांग्लादेश की खूबसूरत चट्टानों को देखा जा सकता है. अगर फोटोग्राफी के शौकीन हैं तो यह जगह आपके लिए ही है.
चेरापूंजी में गिरते पानी के फव्वारे और कुहासा एक अलग ही अनुभव कराता है. यहां के लोगों को बसंत का शिद्दत से इंतजार होता है. यहां रहने वाली खासी जनजाति के लोग बादलों को लुभाने के लिए लोक गीत और लोक नृत्य का आयोजन करते हैं. जो यहां वाले टूरिस्टों के लिए आकर्षण का केंद्र है. यहां बादल कभी भी बरस सकते हैं इसलिए यहां के लोग सालभर छाते लेकर चलते हैं.
खाने-पीने के शौकीनों के लिए भी यहां काफी कुछ है. यहां का पॉर्क राइस काफी पसंद किया जाता है. यहां रेड मीट बहुत मिलता है. इसके अलावा सोहरा पुलाव भी काफी फेमस है. जो एक तरह का खास चावल है इसमें सब्जियां मिलाकर तैयार किया जाता है. खास बात है कि इसमें मसाले का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
अगर आप चेरापूंजी जाने की योजना बना रहें हैं तो बता दें कि यहां आने का सबसे अच्छा समय सितंबर से मई के बीच है. क्योंकि इस दौरान आपको यहां पर सबसे अच्छी सुविधा मिलेगी और आप अपनी यात्रा का पूरा मजा ले पाएंगे. जून के समय यहां की यात्रा करना बिलकुल भी सही नहीं है क्योंकि जून में यहां सबसे अधिक वर्षा होती है. जुलाई और अगस्त के महीनों में भी यहां भारी बारिश देखी जाती है इसलिए इन तीन महीनों में आपको यहां की यात्रा करने से बचना चाहिए.
अगर आप चेरापूंजी की यात्रा करने की योजना बना रहें हैं तो बता दें कि यहां का नजदीक हवाई अड्डा शिलांग हवाई अड्डा है. शिलांग पहुंचने के बाद आप टैक्सी से चेरापूंजी पहुंच सकते हैं. यदि आप ट्रेन से जाने की योजना बनाते हैं, तो गुवाहाटी स्टेशन सबसे नजदीक है. हेलीकाप्टर सेवाएं गुवाहाटी से शिलांग तक उपलब्ध हैं, जिसकी सवारी करना आपकी यात्रा को और भी खास बना देगा.शिलांग और चेरापूंजी के बीच बस सेवा काफी अच्छी है.
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