Kheerganga Trek – हिमाचल प्रदेश में मनाली से पहले एक जगह है पार्वती वैली ( Parvati valley ).यहां है कल कल कर बहती पार्वती नदी ( Parvati valley ) और ऐसे गाँव जो भारत के आम गाँवों से बिल्कुल अलग हैं. खीरगंगा ट्रैक ( Kheerganga Trek ) पार्वती वैली ( Parvati valley ) में स्थित है. भारत में मौजूद ग़ज़ब के ट्रैक्स में ये एक ऐसा ट्रैक है जिसे लेकर ट्रैवलर्स में खासी फैंटेसी रहती है. खीरगंगा की यात्रा में आप पार्वती वैली ( Parvati valley ) को एक्सप्लोर करते हैं और यहाँ के कई छिपे हुए रहस्यों को जानते हैं. इस ट्रेक के दृश्य कमाल के हैं, इससे आपको इलाके की गहनता को पता चलता है. इसके साथ ही, खीरगंगा ट्रेक ( Kheerganga Trek ) आपको पार्वती वैली ( Parvati valley ) की सुंदर और अनोखी संस्कृति का पता लगाने के लिए भी भरपूर अवसर अवसर देता है. खीर गंगा कुल्लू से 26 किलोमीटर तथा पुलगा से दस किलोमीटर दूर है. इस आर्टिकल में हम आपको खीरगंगा ट्रैक ( Kheerganga Trek ) की पूरी जानकारी देंगे और अगर आप अगली यात्रा के लिए खीरगंगा ट्रैक ( Kheerganga Trek ) जा रहे हैं तो एक ही आर्टिकल पढ़ने से आपको पूरी जानकारी मिल जाएगी.
अगर आप एक बिगेनर ट्रैकर हैं या ऐसे बैकपैकर हैं जो हिमाचल प्रदेश के हिमालयी क्षेत्रों में अंदर तक जाकर इस दुनिया को देखना चाहता है तो खीरगंगा आपके लिए परफ़ेक्ट है. आने वाली ट्रिप के लिए इसे चुन डालिए. पार्वती वैली ( Parvati valley ) की यात्रा में, खीरगंगा ट्रैक ( Kheerganga Trek ) को सबसे ज़्यादा पसंद किया जाता है.
यह हिंदुओं और सिखों, दोनों के लिए पवित्र स्थल है, खीरगंगा का इतिहास बेहद विस्तृत है. आप यहां जाएं उससे पहले आइए जानते हैं यहां की खास बातें. सिखों के लिए ये जगह गुरुनानक देव जी से जुड़ी एक कहानी के तौर पर खासी अहमियत रखती है.
भगवान शिव और मां पार्वती ( Parvati valley ) के पुत्र कार्तिकेय ने खीरगंगा को मेडिटेशन और प्रार्थना के लिए चुना था. जब उनके माता-पिता यानि भगवान शिव और मां पार्वती ने उनके पास आने का फैसला लिया तब मां पार्वती की इच्छा हुई कि बेटे के लिए कुछ खाने को बनाएं. मां की इच्छा अब पूरी कैसे न होती. यहां का गर्म पानी मां के लिए काम कर गया. किवदंती है कि मां पार्वती ने इसी पानी की मदद से बेटे कार्तिकेय के लिए खीर बनाई. इसीलिए, आज हम खीरगंगा ( Kheerganga Trek ) को उसके इस नाम से जानते हैं और यहां बहने वाली नदी और इस पूरी घाटी को मां पार्वती के नाम से. हां, इस पूरी कहानी की ही वजह से नदी के पानी का रंग भी हल्का ग्रे और दुधिया है. सतयुग में, पार्वती जी ने पुरुषोत्तम से कहा कि इस खीर को वह नदी में बदल दें और फिर उन्होंने ऐसा ही किया.
Maximum Elevation | 2690 Mts |
Best Time to Visit | April – October |
Difficulty Level | Easy |
Duration | 2 days |
Distance Covered | 12 km |
Budget | INR 1,500 |
खीरगंगा ट्रैक ( Kheerganga Trek ) का शुरुआती पॉइंट बरशैनी है जो कसौल से आसानी से कनेक्टेड है.
कसोल से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा कुल्लू-मनाली हवाईअड्डा है जो भुंतर में है. भुंतर के लिए फ्लाइट्स बेहद कम हैं और यह कई बार मौसम पर भी निर्भर रहता है कि फ्लाइट्स चल भी रही हैं या नहीं. एयरपोर्ट से आगे की यात्रा के लिए टैक्सी और बसें भी उपलब्ध हैं. इसके अलावा जो नजदीकी हवाईअड्डा है वो मोहाली का है. मोहाली हवाईअड्डा यहां से 300 किलोमीटर दूर है.
यहां से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन जोगिंदर नगर रेलवे स्टेशन है. आप जोगिंदर नगर रेलवे स्टेशन से कैब करके 4 घंटे में कसौल पहुंच सकते हैं.
बिल्कुल, पार्वती वैली जाने के लिए यह सबसे सही ज़रिया है. दिल्ली से कसौल तक की पूरी ड्राइविंग टाइम 12 घंटे की है. यह यात्रा 565 किलोमीटर की है. आप इस सफर में, स्टॉप लेकर भी ड्राइव कर सकते हैं.
दिल्ली से कसौल तक की सड़क बेहतर हालत में है और इसी वजह से पार्वती वैली बेहद मशहूर है. खासतौर से विदेशी टूरिस्ट की मौजूदगी के रूप में. यहां का नजारा शानदार है और यह दिल्ली से लंबी यात्रा की भरपाई कर देती है.
दिल्ली के आईएसबीटी, कश्मीरी गेट से कई बसें मनाली और भुंतर के लिए निकलती है. यहां से आपको कई सरकारी बसें मिल जाती हैं. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश परिवहन निगम की बसें आपको मंडी हाउस में हिमाचल भवन से भी मिलती हैं. आपको एक रात में ये बसें भुंतर पहुंचा देती हैं. वॉल्वो/मर्सिडीज बस का किराया 1500 रुपये के लगभग रहता है. हालांकि, वॉल्वो में ही आपको 900, 1100 रुपये के ऑप्शंस भी मिल जाते हैं. चंडीगढ़ से आपको इस यात्रा में 8 घंटे लगते हैं. भुंतर से आपको मणिकर्ण जाने वाली बस लेनी होती है और कंसोल उतर जाना होता है.
टैक्सी सभी अहम स्टेशंस (एयरपोर्ट, रेलवे, बस स्टॉप) पर उपलब्ध है – बुकिंग में जाने वाली कैब के साथ साथ शेयरिंग में जाने वाली कैब भी उपलब्ध रहती है.
बरशैनी से खीरगंगा का ट्रैक 13 किलोमीटर का है और यह 4-6 घंटे में पूरा किया जा सकता है. हालांकि, यह आपके फिटनेस लेवल पर भी निर्भऱ करता है.
अपने ट्रांसपोर्टेशन मोड से कसौल पहुंच जाइए और गांव में हिप्पी सीन का मजा लीजिए. यह क्यूट जगह हिमाचल में हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करती है. इस गांव में जो चार्म है, वो आपको कहीं और नहीं मिलेगा.
सुबह जल्दी निकल जाइए, साथ ही पक्का कर लें आपके बंदोबस्त पक्के हैं. वैसे तो 6 बजे का समय बेस्ट है लेकिन इतनी सुबह कई बार कैब/बस नहीं मिल पाती है.
आपके पास तीन रूट्स हैं. आप इनमें से कोई भी एक चुन सकते हैं. हम सुझाव देंगे कि आप सबसे कम भीड़भाड़ वाला रूट चुनें
Nakthan Route – यह सबसे ज्यादा भीड़भाड़ वाला रूट है और आपको सबसे जल्दी भी पहुंचाता है. इस रास्ते से आप खीरगंगा 4 घंटे में पहुंच जाते हैं. अगर आपको मंजिल से ज्यादा प्यार सफर में है तो Nakthan में वो परफेक्शन है. एक बार Barshaini Bridge पहुंच जाने पर, आप लेफ्ट लेते हैं और Nakthan Village के लिए आगे बढ़ते हैं. आप बाईं तरफ बहती हुई पार्वती नदी को देखते रहते हैं. हालांकि यह सबसे मशहूर रूट है इसलिए यहां जगह जगह आपको मार्किंग भी मिल जाएगी और सैंकड़ों टूरिस्ट साथ चलते मिल जाएंगे.
Kalga Route – लेफ्ट मुड़ने की बजाय, आप Barshaini bridge से दाहिने मुड़ जाइए और कल्गा की तरफ जाइए. यही रास्ता, आगे चलकर मुख्य मार्ग (Nakthan) में मिल जाता है. इस रास्ते में, आप घने जंगल से गुजरते हैं. पहली बार ट्रेक कर रहे लोगों को सुझाव है कि वे गाइड जरूर लेकर चलें.
Tosh Route – एक और रास्ता जो बाद में Nakthan Route में ही मिल जाता है. यह रूट भी खासा फेमस है. खासतौर से ऐसे लोगों के लिए जो आगे बढ़ने से पहले, टोश गांव में रात गुजारना चाहते हैं. Tosh village के पास से ही Tosh नदी बहती है जो बाद में Pulga के पास पार्वती नदी में समाहित हो जाती है.
आप अगर अप्रैल से अक्टूबर के बीच में खीरगंगा ट्रैक जाते हैं तो यह समय सबसे बेहतर माना जाता है. इस समय आपको बेहतरीन मौसम, हरियाली और नीला आसमाँ दिखता है.
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