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Hunza Valley : Hunza Valley गिलगित- बाल्टिस्तान के पहाड़ों में स्थित है जो भारत और पाकिस्तान की नियंत्रण रेखा पर है। वैली गिलगित के NORTH में नगर वादी के पास रेशम मार्ग पर है। यहां पर कई छोटी- छोटी बस्तियों का जमावड़ा है। इस हुंजा वैली के पास सबसे बड़ी बस्ती करीमाबाद है। हुंजा नाम हुंजा नदी के ऊपर पड़ा है। हुंजा वैली की स्थानीय लैग्वेज बुरुशस्की है। ये वैली दिल्ली से करीब 888 किलोमीटर दूर है ये इलाका जितना सुंदर है उतना ही सेहतमंद भी।
हुंजा वैली को अंतर्राष्ट्रीय मैगजीन फोर्ब्स साल 2019 में सबसे Coolest place to visit की लिस्ट में शामिल किया है।
कई विदेशी लेखक भी हुंजा वैली के लोगों की बेहतर जिंदगी के बारे में BOOKS लिख चुके हैं। जिसमें से एक है जेआई रोडाल की The Healthy Hunzas और दूसरी डॉक्टर जो. क्लार्क की The Lost Kingdom of the Himalayas ये दोनों किताबें यहां के लोगों की दिनचर्या के बारे में करीब से बता सकती है। इनके अलावा मध्य यूरोपीय देश Slovenia के साइंटिस्ट और लेखक डॉक्टर इजतोक ओस्तन ने भी ग्लेशियर से पिघलकर आने वाले पानी पर रिसर्च की। उन्होंने पाया कि हुंजा वैली के लोग जो पानी पीते है उसमें मिनरल्स और एंटीऑक्सिडेंट होते हैं। जो हुंजा जनजाति के लोगों को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
दुनिया की खूबसूरत महिलाएं!: Hunza Valley की महिलाएं को दुनिया की खूबसूरत महिलाएं माना गया है। और ये भी दावा किया जाता है कि यहां की महिलाएं 65 की उम्र में भी मां बन सकती है। यहां की महिलाएं 80 साल की उम्र में भी बूढ़ी नहीं होती हैं। ऐसे में मां और बेटी को देखकर उनमें फर्क कर पाना मुश्किल है कि कौन मां है और कौन बेटी। मर्द भी 80 साल की उम्र में पिता बन सकते हैं। यहां के लोग कम बीमार पड़ते है। उसकी वजह है यहां की आबो- हवा और खानपान।
कैसी है Lifestyle?: Hunza Valley के लोगों की Lifestyle बहुत ही सादी है। यहां के लोग सूरज के उगने से पहले ही उठ जाते हैं, और जल्दी सो जाते है। इस वैली के लोग घोड़ा- गाड़ी नहीं बल्कि पैदल चलने पर ज्यादा विश्वास रखते है। खाने- पीने में नेचुरल चीजों पर इनका भरोसा ज्यादा है। वह ताजे फल और सब्जियां खाते हैं। और सूखे मेवे खाने में उपयोग करते हैं। जिसकी वजह से हुंजा वैली के लोग औसतन 100 साल से ज्यादा जीते हैं। औरतें बूढ़ी होने पर भी जवान दिखती हैं।
क्या खाते हैं यहां के लोग ?: अब सवाल ये उठता है कि अगर यहां के लोग बूढ़े नहीं होते तो खाते और पीते क्या हैं? हुंजा वैली के लोग दिन में सिर्फ दो बार खाते हैं, ऐसा नहीं है कि जब मन किया और खा लिया। मतलब एक बार दोपहर और दूसरी बार रात में । यहां के लोग खेती के दौरान कैमिकल का उपयोग नहीं करते हैं। नेचुरल तरीके से सब्जियां और फल उगाते हैं। यहां के लोग सबसे ज्यादा खुबानी खाते हैं। खुबानी के अलावा सूखे मेवे और उससे बनी ड्रिंक्स अपनी ड्राइट में रखते है। अनाज में जौ, बाजरा, कुट्टू और गेहूं इनका मुख्य आहार है। इनमें फाइबर और प्रोटीन के साथ कुछ मिनरल्स होते है जो शरीर को स्वस्थ रखते है।
यहां किसी को कैंसर नहीं होता !: हुंजा वैली के लोगों को कैंसर कौनसी बीमारी है ये नहीं बता है। वो इसलिए क्योंकि यहां के लोगों को कैंसर जैसी बीमारी नहीं होती है। इसके पीछे तर्क ये है कि यहां के लोग अखरोट का खूब इस्तेमाल करते हैं, अखरोट उनकी डाइट में अहम हिस्सा है। धूप में सुखाए गए अखरोट में विटामिन B- 17 कंपाउंड पाया जाता है, जो कैंसर से बचाव में मददगार होता है। इसके अलावा यहां के लोगों को दिल की बीमारी, मोटापा, ब्लड प्रेशर, जैसी बीमारियों के शायद ही नाम भी नहीं पता हो।
कैसे हैं यहां के लोग ?: हुंजा वैली के लोग बेहद मिलनसार होते हैं। और आपस में भाईचारे के साथ रहते हैं। उनके आपसी भाईचारे का अंदाजा उनके रहने के तरीके से ही लगाया जा सकता है। बलटिट फोर्ट के पास की बस्ती में ये छोटे-छोटे घर आपस में जुड़े हुए हैं और ये लोग इसी तरह कई सौ सालों से एक साथ रहते आ रहे हैं। हुंजा वैली में रहने वाले लोगों का मुख्य कारोबार, खेती है जहां सेब, चेरी, खुबानी, अंगूर और सूखे मेवे भारी संख्या में उगाया जाता है।
हुंजा का देशी पिज्जा: चापशोरो हुंजा का स्थानीय व्यंजन है, जिसे आप हुंजा का देशी पिज्जा भी कह सकते है। ये चापशोरो मीट को आटे की रोटी के अंदर भरकर बनाया जाता है। जैसे हम भारत में पराठा बनाते है। इसके अलावा हुंजा की बेहतरीन ड्रिंक में से एक है शमोस है जिसे यहां के लोग कई दशकों से पीते आ रहे हैं। वहीं, यहां पर चाय के शौकिन भी है जो हर्बल चाय पीते है। इस चाय को हुंजा TEA भी करते हैं, इसी चाय में पुदीना, तुलसी, छोटी इलाइची, दालचीनी और गुड़ का इस्तेमाल किया जाता है।
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