Adventure Tour

Gartangali Bridge : पर्यटकों के लिए खुल रहा है Uttarakhand का Dangerous Trek Route

Gartangali Bridge Tour – अगर आप ट्रेकिंग ( Trek Routes in Uttarakhand ) को पसंद करते हैं और खतरनाक रास्तों पर जोखिम भरा सफर करने का माद्दा रखते हैं तो आपके लिए बेहद अच्छी खबर है. दुनिया के खतरनाक माने जाने वाले रास्तों में शुमार गर्तांगली ( Gartangali Bridge Tour ) 45 साल के लंबे इंतजार के बाद पर्यटन के नक्शे पर आने जा रही है. ये जगह गंगोत्री नेशनल पार्क में है और इसी वजह से इसे विकसित किए जाने में कई तरह की अड़टनें आ रही थीं. अब वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस को लेकर सभी बाधाओं को दूर कर लिया गया है. रोमांच के शौकीनों के लिए समुद्रतल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर गर्तांगली Gartangali Bridge मार्ग को इससे पहले, 2017 में विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर खोल दिया गया था. 1962 से क्षतिग्रस्त पड़ा जाड़ गंगा घाटी में स्थित सीढ़ीनुमा यह मार्ग क्षतिग्रस्त होने के कारण इस मार्ग पर आवाजाही बंद थी. (गर्तांगली) दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में शुमार है.

दुनिया का सबसे खतरनाक रास्ता – Most Dangerous Trek Route in the World

Gartangali Bridge दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में शुमार इसी मार्ग से एक दौर में भारत-तिब्बत के बीच व्यापार हुआ करता था. भारत-चीन सीमा पर जाड़ गंगा घाटी में स्थित सीढ़ीनुमा यह मार्ग वास्तु का अद्भुत नमूना है. उत्तरकाशी की नेलांग घाटी के गर्तांगली में चट्टानों के बीच से दशकों पहले लकड़ी का एक पैदल पुल बनाया गया था. जिसका इस्तेमाल भारत-तिब्बत व्यापार के लिए किया जाता था. लेकिन भारत-चीन युद्ध के बाद इस पुल से आवाजाही पर पाबंदी लगा दी गई थी.

अगर आप ऐतिहासिक पुल को पार करने की सोच रहें हैं तो आपका मन बहुत मजबूत होना चाहिए. साहस और सावधानी के साथ जब आप यह पुल को पार करेंगे तो आपकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहेगा. इस पुल से गुजरते हुए हवा में चलने जैसा अनुभव करने वाले तिलक पिछले पांच दशक में पुल को पार करने वाले संभवत: पहले व्यक्ति थे.

यह लद्दाख की तरह जमे हुए रेगिस्तान वाली उत्तरकाशी की नेलांग घाटी की गर्तांगली में बेजोड़ वास्तुकला को प्रदर्शित करता अनूठा पैदल पुल है. करीब 200 साल पुराना माना जाने वाला लकड़ी का पुल चट्टानों को काटकर बनाया गया है, जो जाट गंगा नदी के करीब 400 मीटर ऊपर बना है. कभी दो देशों के बीच व्यापार के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला यह पुल वर्ष 1962 से बंद पड़ा है. इस वजह से वास्तुकला का यह नायाब नमूना अभी तक सैलानियों की नजरों से दूर था. लेकिन अब यह देश के पर्यटन मानचित्र पर जगह बना पाया है.

पत्थरों को काटकर तैयार किया गया पुल – Gartangali Bridge made after cutting Stones

दरअसल खूबसूरत नेलांग घाटी में भारत-चीन युद्ध से पहले आम लोगों के जाने पर रोक नहीं थी. भारत और तिब्बत के व्यापारी सामान बेचने और खरीदने के लिए इसी घाटी से होकर गुजरते थे. साल 1962 में हुए युद्ध के दौरान नेलांग घाटी में रहने वाले लोगों को विस्थापित करने के साथ ही यहां आम जनता के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई थी. नेलांग, जादुंग और अन्य गांवों के लोगों को उत्तरकाशी के डुंडा और उसके आसपास बसाया गया था.

इस पूरे क्षेत्र को सेना ने अपने अधिकार में ले लिया था. इसके बाद से गर्तांगली में बना अद्भुत पुल गुमनामी में खो गया. पत्थरों को काटकर तैयार किया गया चार फुट चौड़ा यह पुल आज भी सुरक्षित है. बताया जाता है कि इस अनूठे पुल को तैयार करने के लिए खासतौर पर पेशावर से पठान कारीगरों को बुलाया गया था. पैदल पुल से गुजरने में रोमांच का अनुभव होता है.

नेलांग घाटी में रहने वाली रांगपा जनजाति को भारत-चीन युद्ध के समय विस्थापित कर दिया गया था. यह पुल उस दौर की इंजीनियरिंग का बेहतर नमूना है. बरसों से बंद पड़े पुल पर चलना आसान नहीं था. पुल में लकड़ियों की बाड़ लगी है, लेकिन उसकी मजबूती पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं किया जा सकता है. उत्तरकाशी से तकरीबन 90 किलोमीटर की दूरी, फिर दो किलोमीटर पैदल घना जंगल और दुर्गम रास्ता पार करने के बाद पुल तक पहुंचा जा सकता है. पुल को देखकर नहीं लगता कि इसका इस्तेमाल करने में वनकर्मियों ने दिलचस्पी दिखाई होगी.

Mussoorie Full Travel Guide : Queen of hills पर कब जाएं, कैसे पहुंचे, क्या-क्या करें, Full Information

गर्तांगली में चट्टानों के बीच बना करीब 200 साल पुराना पुल अभी लोगों के चलने के लायक बचा है. लेकिन कुछ जगहों पर सीढ़ियां और लकड़ियों की सुरक्षा बाड़ भी क्षतिग्रस्त हो चुकी है. गंगोत्री नेशनल पार्क का हिस्सा होने की वजह से अभी इस क्षेत्र में जाने पर मनाही थी. लेकिन अब आराम से यहां जाया सा सकता है.

कुछ जगहों को छोड़कर अधिकांश पुल ठोस चट्टान को छेनी और हथौड़े की मदद से काटकर बनाया गया है.  पुल की मरम्मत किए बिना उस पर चलना बेहद घातक साबित हो सकता था. बेशक, यह सैलानियों के लिए अनोखी और रोमांच पैदा करने वाली जगह है. उनकी कोशिश है कि इस नायाब ऐतिहासिक धरोहर का संरक्षण हो और राज्य सरकार इसे हैरिटेज वॉक के रूप में विकसित करे. पहली बार 25 पर्यटकों ने उत्तरकाशी जिले में समुद्रतल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित ऐतिहासिक गर्तांगली की सैर कर रोमांच का अहसास किया.

दोस्तों, आप भी Travel Junoon के संग जुड़ सकते हैं और अपने लेख हजारों लोगों तक अपनी तस्वीर के साथ पहुंचा सकते हैं. आप अपना लिखा कोई भी Travel Blog, Travel Story हमें भेजें – GoTravelJunoon@gmail.com पर. हम उसे आपकी तस्वीर के साथ वेबसाइट पर अपलोड करें.

Recent Posts

Bandipore Travel Blog : जानें, जम्मू-कश्मीर के बांदीपुर जिले के बारे में सबकुछ

Bandipore Travel Blog :  बांदीपुर जिला (जिसे बांदीपुरा या बांदीपुर भी कहा जाता है) कश्मीर… Read More

47 mins ago

Anantnag Travel Blog : अनंतनाग में घूमने की ये 19 जगहें हैं बहुत फेमस

Anantnag Travel Blog : अनंतनाग जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश के सबसे खूबसूरत… Read More

19 hours ago

Chhath Puja 2024 Day 3 : जानें, सूर्यास्त का समय, पूजा अनुष्ठान, महत्व और अधिक

Chhath Puja 2024 Day 3 : छठ पूजा कोई त्योहार नहीं है लेकिन इस त्योहार… Read More

23 hours ago

High Uric Acid Control : हाई यूरिक एसिड से हैं परेशान, सुबह खाली पेट खाएं ये सफ़ेद चीज़

High Uric Acid Control : लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे लोगों में हाई… Read More

2 days ago

Kharna puja 2024 : इस चीज के बिना अधूरी है खरना पूजा, जानिए 36 घंटे के निर्जला व्रत की विधि

 Kharna puja 2024 : चार दिवसीय महापर्व छठ के दूसरे दिन खरना मनाया जाता है.… Read More

2 days ago

Chhath Puja 2024 : 36 घंटे के व्रत के दौरान इन महत्वपूर्ण नियमों का पालन करें

Chhath Puja 2024 :  महापर्व छठ 5 नवंबर को नहाय खाय के साथ शुरू हो… Read More

2 days ago