Best Trek In India : भारत में एडवेंचर को पसंद करने वालों की कमी नहीं है. ट्रैकिंग और हाइकिंग के शैकीन लोगों के लिए भारत एक परफेक्ट प्लेस है. अगर आप अपने दोस्तों के साथ ट्रैकिंग ट्रिप पर जाने की प्लान बना रहे हैं, तो भारत में कई ऐसे डेस्टिनेशन्स हैं, जहां आप ट्रैकिंग का मजा ले सकते हैं. भारत में ट्रैक देश के प्राकृतिक का मजा लेने और पहाड़ों के रोमांच का अनुभव करने का एक शानदार तरीका है. यहां मौजूद सभी ट्रेक्स अपने बेहतरीन वातावरण के लिए भी जाने जाते हैं. यहां हम भारत में ट्रैकिंग के शौकीन लोगों के लिए कुछ ऐसी जगहों के बारे में बता रहे हैं, जहां उन्हें ट्रैकिंग करने का एक शानदार अवसर मिलेगा.
केदारकंठा उत्तर भारत के सबसे अच्छे ट्रैकिंग प्लसों में से एक है. अगर आप उत्तराखंड की हरी-भरी घाटियों के बीच एक आसान ट्रैक करते हैं, तो यह आपके लिए यादगार साबित हो सकता है. यह यात्रा आपको 3500 किमी की ऊंचाई तक ले जाती है.
केदारकंठा ट्रेक सांकरी गांव उत्तराखंड से शुरू होता है. लेकिन आपको यहां पहुंचे के लिए सबसे पहले देहरादून जाना होगा. देहरादून से सांकरी गांव की दूरी196 किलोमीटर की है जिसे करने में आपको समय लगेगा. देहरादून से आप सांकरी गांव के लिए सुबह जल्दी निकले जाए ताकि आप यहां पे समय से पहुंच जाए.
केदारकांठा ट्रेक पर जाना अपने आप में एक रोमांचकारी अनुभव है. इसके अलावा, दिसंबर, जनवरी, फरवरी और मार्च के महीनों में ट्रेक पर जाना इस रोमांच और मस्ती को दोगुना कर देता है. भले ही यह ट्रेक पूरे साल ठंडा रहता है, लेकिन इन महीनों में बर्फ ही बर्फ मिलती है जो देखने बहुत खूबसूरत लगती है. केदारकंठा ट्रेक के लिए सबसे अच्छा समय इन सर्दियों के महीनों में होता है क्योंकि आपको जो रोमांच और प्राकृतिक सुंदरता देखने को मिलती है.
ब्रह्मताल ट्रैक, भगवान ब्रह्मा को समर्पित है. यह हिमालय के बीच खूबसूरती से स्थित है और बर्फ की चादरों से ढका हुआ है. ब्रह्मताल ट्रैक सुंदर घाटियों, शांत बस्तियों, नदियों, और ओक के जंगलों के रास्तों से ले जाता है. सर्दियों में ये क्षेत्र बर्फ से ढका रहता है, जहां से हिमालय की खूबसूरती को देखने वाला हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है.
ब्रह्मताल ट्रेक के दौरान जटरोपनी टॉप की एक और पैदल यात्रा भी की जा सकती है. यहां पहुंचने के बाद आसान पैदल दूरी तय कर आप ऊंची चोटियों और हिमालय की झीलों के साक्षी बन सकते हैं. ब्रह्म कमल समेत अनेक दुर्लभ जड़ी बूटियों का भंडार है.
यह क्षेत्र साल के 8 महीने बर्फ से लकदक रहता है. ब्रह्मताल ट्रेक वैसे तो दो दिनों में भी किया का सकता है. लेकिन अगर आपको इस ट्रेक इस जगह को जीना है तो यह कम से कम पांच दिनों का ट्रेक है.
भारत के सबसे रोमांचक ट्रेक्स में से एक कुरी पास ट्रेक हिमालयन रेंज की बर्फ से ढकी चोटियों की शानदार वादियों का आकर्षक व्यू दिखाई देता है. ट्रेकिंग के शौकीनों के बीच फेमस कुरी पास ट्रेक को लॉर्ड कर्जन ट्रेल के नाम से भी जाना जाता है.
बता दें कुरी पास ट्रेक हरे-भरे घाटियों, जंगलों और छोटे गांवों से होकर गुजरता है. इसके साथ ही इस ट्रेक में ट्रकिंग के दौरान नंदादेवी, चौखम्बा, कामेट, हाथी-घोड़ी पर्वत और द्रोणागिरी की शानदार चोटियों के मनोरम दृश्यों को देखा जा सकता है. माना जाता है अपने आकर्षक और रोमांचक नजारों से कुरी पास ट्रेक हर साल हजारों भारतीय और विदेशी ट्रेकर्स को अपनी और आकर्षित करता है.
इसके अलावा, आपके पास शानदार स्थानों में कैंप लगा सकते हैं.
सितंबर से नवंबर की शुरुआत तक के महीने कुरी पास ट्रेक करने का सबसे अच्छा समय है. पतझड़ के रंगों से रंगी हरियाली और सुहावना मौसम ट्रेक को आसान और यादगार बना देता है. इसके अलावा, नवंबर के अंत से फरवरी के सर्दियों के महीनों में वह रोमांच होता है जिसका अनुभवी ट्रेकर्स आनंद लेते हैं.
दयारा बुग्याल को व्यापक रूप से उत्तराखंड में सबसे खूबसूरत ट्रेक में से एक माना जाता है. यह ट्रेक आपको उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में एक उच्चभूमि घास के मैदान में ले जाता है, जो 10,000-12,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. दयारा बुग्याल का भव्य ट्रेकिंग स्थल विशाल बर्फ से ढके पहाड़ों से भरा हुआ है और यह प्रसिद्ध उत्तराखंड ट्रेकिंग अभियान प्राचीन बरनाला ताल झील के अद्भुत व्यू दिखाई देता है.
यह क्षेत्र घने अल्पाइन जंगलों से भरा है. अपने कैंप लगाकर शाम का आनंद ले सकते है और रात में आसमान के बदलते रंग और तारों को देख सकते हैं. ट्रेकिंग हरिद्वार-गंगोत्री मार्ग पर उत्तरकाशी से 32 किलोमीटर दूर बारसू के छोटे से गांव में शुरू होती है. बारसू में, आप किसी भी विश्राम गृह या गढ़वाल मंडल विकास निगम के गेस्ट हाउस में रह सकते हैं जो एक तरफ खूबसूरत घाटी और दूसरी तरफ गढ़वाल हिमालय के बर्फ से ढके पहाड़ों के व्यू देते हैं.
इस मंत्रमुग्ध कर देने वाली जगह की ट्रेकिंग आपके जीवन की मुख्य यादों में से एक होगी. दयारा बुग्याल के लिए ट्रेक पर रहते हुए इन यादों को बनाने का सबसे अच्छा समय मई से नवंबर के महीने हैं क्योंकि आपको इस ट्रेक का तुलनात्मक आसानी से अनुभव करने को मिलता है और सुंदरता बेजोड़ दिखाई देती है.
गढ़वाल हिमालय के टिका पर स्थित यह सबसे पुराना हिमालयी ट्रेक है. 11700 फीट की चौंका देने वाली ऊंचाई पर, हर की दून एक फेमस ट्रेक है.यहां आप उन गांवों को करीब से देख सकते हैं जो 2,000 साल पुराने हैं.
हर की दून का शाब्दिक अर्थ कुछ इस प्रकार है – हिंदू धर्म में हर का मतलब होता है देवता और दून का मतलब होता है घाटी. या फिर आप सीधे और सरल शब्दों में कह सकते है की हर की दून का मतलब होता है देवताओ की घाटी (Valley of Gods). लोकल लोगों में ऐसी मान्यता है की इस स्थान पर देवता निवास करते हैं इसलिए इसे हर की दून ( Valley of Gods ) कहा जाता है.
हर की दून का इतिहास महाभारत काल के समय का माना जाता है. स्थानीय लोगों का यह विश्वास है कि महाभारत का युद्ध समाप्त होने के कई वर्षों के बाद पांडव इस स्थान से स्वर्ग गए थे. पांडवों के सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर के लिए तो यह कहा जाता है कि हर की दून के पास स्थित स्वर्गारोहिणी पर्वत से वह स्वर्ग गए थे.
इसके अलावा हर की दून के आस पास रहने वाले कौरवों के सबसे बड़े भाई दुर्योधन की पूजा किया करते हैं. यहां रहने वाले स्थानीय निवासियों के अनुसार दुर्योधन एक बहुत अच्छे शासक थे. इसलिए हर की दून के पास स्थित ओसला गांव में दुर्योधन का प्राचीन मंदिर भी बना हुआ है. इन सब के अलावा भी हर की दून के आस पास के गाँव में आपको महाभारत काल से जुड़े हुए घटनाक्रम का प्रभाव भी देखने को मिलता है.
हिमालय के सबसे खूबसूरत ट्रैक्स में से एक हर की दून ट्रेक को पूरा करने के लिए आपके पास कम से कम 7-8 दिन का समय होना चाहिए, क्योंकि यह ट्रेक करते समय आपको लगभग 50 किलोमीटर से भी ज्यादा पैदल चलना होता है. भारत में जितनी भी ट्रैकिंग एजेंसीज है वो लोग देहरादून से आपके हर की दून ट्रेक की शुरआत करते हैं, और आपके इस ट्रेक को समाप्त भी देहरादून में ही करते हैं.
देवताओं की इस घाटी में ट्रेक करना किसी और की तरह एक अनुभव नहीं है. इस एडवेंचर को करने के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल से मध्य जून तक है क्योंकि भारी बर्फबारी के बाद द्वार फिर से खुल जाते हैं. इसके साथ ही, अक्टूबर से मध्य नवंबर तक के महीने भी हर की दून ट्रेक करने के लिए सबसे अच्छा समय है क्योंकि कम कठोर हिमपात, और सुखद सर्द मौसम इसके अलावा. पगडंडी खूबसूरती से बर्फ से ढकी हुई है जिससे यह एक सच्चा स्वर्ग प्रतीत होता है.
चादर ट्रेक भारत का एक रोमांचक व एडवेंचर ट्रेकिंग रूट है, जिसे केवल सर्दियों में ही किया जाता है, क्योंकि इस दौरान यहां हर जगह बर्फ ही बर्फ बिछ जाती है. बता दें, कि चादर को स्थानीय भाषा में नदी पर जमी हुई ‘बर्फ की परत’ कहा जाता हैं. सर्दियों में यहां बहने वाली जांस्कर नदी पर बर्फ की परत जमा होना शुरू हो जाती है, जो इस ट्रेकिंग को और भी रोमांचक बनाने का काम करती है.
चादर ट्रेकिंग रूट पर इसलिए भी ट्रैवलर्स ज्यादा आना पसंद करते हैं, क्योंकि उन्हें सर्दियों में बर्फीली ट्रेकिंग और गर्मियों में रिवर राफ्टिंग का मौका मिल जाता है. इस दौरान ज़ंस्कार नदी अपने पूरे वेग में बहती है, जिसे देख रिवर एवेंचर के शौकीन काफी उत्साहित हो जाते हैं. अगर आप भी एडवेंचर का शौक रखते हैं, तो गर्मियों के दौरान आप यहां भरपूर आनंद उठा सकते हैं.
निस्संदेह सर्दी लद्दाख की इस जमी हुई झील की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय है. तापमान -25 डिग्री सेल्सियस तक जाने के साथ, यह ठंड का मौसम सबसे उपयुक्त है. चादर ट्रेक के लिए जनवरी और फरवरी सबसे अच्छे महीने हैं. वास्तव में कठोर सर्दियों के कारण, चादर ट्रेक भारत में सबसे कठिन शीतकालीन ट्रेक है और हिमालय में करने के लिए सबसे अच्छे शीतकालीन ट्रेक में से एक है.
Amrit Udyan Open : राष्ट्रपति भवन में स्थित प्रसिद्ध अमृत उद्यान (जिसे पहले मुगल गार्डन… Read More
Pushkar Full Travel Guide - राजस्थान के अजमेर में एक सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर-पुष्कर… Read More
Artificial Jewellery Vastu Tips : आजकल आर्टिफिशियल ज्वैलरी का चलन काफी बढ़ गया है. यह… Read More
Prayagraj Travel Blog : क्या आप प्रयागराज में दुनिया के सबसे बड़े तीर्थयात्रियों के जमावड़े,… Read More
10 Best Hill Stations In India : भारत, विविध लैंडस्कैप का देश, ढेर सारे शानदार… Read More
Mirza Nazaf Khan भारत के इतिहास में एक बहादुर सैन्य जनरल रहे हैं. आइए आज… Read More